अमेरिका की दिग्गज बाइक कंपनी हार्ले डेविडसन ने भारत में अपने कारोबार को समेटने का फैसला लिया है। कंपनी का कहना है कि बीते वित्त वर्ष में उसकी सेल में 22 पर्सेंट की गिरावट देखने को मिली थी। ऐसे में अब वह घाटे वाले मार्केट्स को छोड़ अमेरिका में अपने कारोबार पर फोकस करना चाहती है। हार्ले डेविडसन की हरियाणा के बावल में असेंबलिंग यूनिट भी थी। फाइनेंशल ईयर 2019 में हार्ले डेविडसन ने सिर्फ 2,676 बाइक्स ही बेची थीं। यही नहीं इनमें भी 65 फीसदी हिस्सेदारी 750 सीसी बाइक्स की है, जिनकी असेंबलिंग वह हरियाणा में ही करती थी। बीते करीब 4 सालों में भारत के बाजार को छोड़ने वाली हार्ले डेविडसन 7वीं विदेशी ऑटोमोबाइल कंपनी है। इससे पहले जनरल मोटर्स, फिएट, Ssangyong, स्कैनिया, MAN और UM Motorcycles भी भारत के बाजार को छोड़ चुके हैं।
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर दुनिया की दिग्गज कंपनियां भारत में आकर क्यों फेल हो जाती हैं। ऑटो सेक्टर के जानकारों के मुताबिक इसकी वजह यह है कि उन्हें भारतीय बाजार और उसकी जरूरतों की समझ नहीं है। इसे मारुति सुजुकी ने अच्छे से समझा है और वह 50 पर्सेंट से ज्यादा का मार्केट शेयर लंबे समय से बनाए हुए है। टोयोटा मोटर्स, फोर्ड, फॉक्सवैगन, रेनॉ निसान जैसी कंपनियों का भारत में मामूली ही कारोबार रहा है।
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