रिपोर्ट: तौसीफ कुरैशी
देवबन्द।अनलॉक 2.0 में सरकार द्वारा धार्मिक स्थलों को खोलते समय सभी धर्मों की पूजा पदत्तियों को ध्यान में रखे बिना निर्देश जारी न करने से एक नया विवाद खड़ा हो गया है। इस्लामी शिक्षा के प्रमख केंद्र दारुल उलूम देवबन्द ने केवल पाँच लोगों के साथ मस्जिदों को खोलने की इजाजत देने पर कड़ी नाराजगी जताते हुए केंद्र सरकार से अपने फैसले पर पुर्न विचार करने और बिना संख्या निर्धारण सोशल डिस्टेंसिंग की शर्त के साथ मस्जिदों में नमाज अदा करने की इजाजत देने की मांग की है।
केंद्र सरकार द्वारा धार्मिक स्थल खोले जाने के सम्बंध में गाइडलाइन जारी करने के बाद सोमवार को दारुल उलूम देवबन्द के मोहतमिम मुफ्ती अबुल कासिम अन्सारी नौमानी ने जारी ब्यान में कहा कि लॉकडाउन के चलते करीब ढ़ाई महीने से बंद मस्जिदों को खोलने के लिए सरकार ने जो शर्त लगाई हैं वह समझ से परे और बेचैन कर देने वाली है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन खोलने के लिए शुरू की गई प्रक्रिया अनलॉक के तहत ट्रास्पोर्टेशन, फैक्ट्रीज और बाजार सोशल डिस्टेंसिंग की शर्तों के साथ खोल दिए गए हैं और किसी प्रकार की संख्या निर्धारित नहीं की गई। जबकि इसके ठीक उलट मस्जिदों को खोलते हुए सिर्फ पाँच लोगों की कैद लगा दी गई है। जिस पर हम सख्त नाराजगी व्यक्त करते हैं।
मुफ्ती अबुल कासिम अन्सारी ने कहा कि मुसलमानों ने लॉकडाउन के दौरान शासन प्रशासन द्वारा जारी सभी निर्देशों का सख्ती से पालन किया है। इसलिए हम केंद्र सरकार से मांग करते हैं कि वह अपने फैसले पर पुनर्विचार करे और बिना संख्या निर्धारण किए सोशल डिस्टेंसिंग की शर्त के साथ मस्जिदों में नमाज़ अदा करने की इजाजत दे। बता दें कि केंद्र सरकार ने देश के बहुसंख्यक समाज की पूजापदत्ति को ध्यान में रखते हुए अनलॉक 2.0 के तहत सोमवार से केवल पाँच लोगों के साथ सभी धार्मिक स्थल खोलने की इजाजत दी है। जबकि मस्जिदें केवल पाँच लोगों के साथ खोलना सम्भव नहीं है। इसी के चलते सरकारी निर्देशों को समझ से परे करार देते हुए मस्जिदों के जिम्मेदारों ने मस्जिदें खोलने से इंकार कर दिया है। कोरोना काल में सरकार के इस फैसले ने देश में एक नए विवाद को जन्म दे दिया है।
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