लखनऊ: प्रदेश में कोरोना काल में लगभग नौ लाख महिलाओं को रोजगार देने का सरकारी दावा खोखला है। सच्चाई यह है कि कोरोना महामारी के आपदा काल में भी योगी सरकार ने महिला समाख्या, 181 वूमेन हेल्पलाइन और आंगनबाड़ी में कार्यरत हजारों महिलाओं की नौकरी छीन ली। इनमें से कई को तो काम कराकर वेतन तक का भुगतान नहीं किया गया। यह सरकार मिशन शक्ति के नाम पर महिलाओं की सुरक्षा, सम्मान और स्वालम्बन का महज प्रचार कर रही है और इन उद्देश्यों को वास्तविकता में जमीनीस्तर पर उतारने वाली संस्थाओं को बर्बाद कर रही है। यह प्रतिक्रिया सरकारी दावों पर वर्कर्स फ्रंट के अध्यक्ष दिनकर कपूर ने प्रेस को जारी अपने बयान में दी।

उन्होंने बताया कि लाखों रोजगार के सरकारी दावों के एक बड़े भाग स्वयं सहायता समूह से पोषाहार वितरण के लिए साढे छः लाख महिलाओं को लगाने की हकीकत यह है कि यह समूह अभी तक महज कागज पर ही चल रहे है और इन्हें पांच सौ रूपए महीने देने की बात थी जिसे भी आज तक नहीं दिया गया है। इन समूहों द्वारा गर्भवती, धात्री महिलाओं व बालिकाओं को प्रतिमाह दो किलो गेहूं व एक चावल देकर लाभार्थी की गरीबी का मजाक उडाया जा रहा है।

महिलाओं के अन्य रोजगार सम्बंधी भी जो आंकड़ेबाजी की गई है वह छलावा ही है। उत्तर प्रदेश में महिला रोजगार के भयावह हालत है चिकनकारी, बुनकरी व अन्य घरेलू व कुटीर उद्योग में लगी लाखों महिलाएं इन उद्योगों के तबाह होने से भुखमरी की हालत में जीवन जी रही है। हजारों आंगनबाड़ियों को बिना पेंशन, ग्रेच्युटी दिए जुलाई से जबरन सेवा से निकाल दिया गया। जो आंगनबाडियां काम कर रही है उनका दो माह से मानदेय भुगतान नहीं किया गया है। तीस साल से महिलाओं द्वारा संचालित और पिछड़े जिलों में महिलाओं व गरीबों को आत्मनिर्भर बनाने वाले महिला समाख्या जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम को बंद कर दिया गया। इसी प्रकार महिलाओं को काल सेंटर से लेकर घटनास्थल तक सुरक्षा प्रदान करने वाले 181 वूमेन हेल्पलाइन को बंद कर दिया गया। इनमें काम करने वाली सैकड़ों महिलाओं का महीनों का वेतन बकाया है। वहीं प्रचार और विज्ञापन में करोंड़ो रूपए बहाया जा रहा है। इसलिए वर्कर्स फ्रंट सरकार कीे महिला विरोधी कार्यवाहियों के व्यापक भण्ड़ाफोड़ का अभियान चलायेगा और जन संवाद करके आम आवाम को इसकी सच्चाई से अवगत करायेगा।