लखनऊ: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में 80 हिस्ट्रीशीटरों की लिस्ट में डॉ. कफील खान का नाम भी शामिल किया गया है। अधिकारियों का कहना है कि इन सभी लोगों पर पुलिस द्वारा कड़ी नजर रखी जाएगी। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जोगेंद्र कुमार के निर्देश पर 81 लोगों को सूची में शामिल किया गया है।

81 लोगों को सूची में शामिल
उन्होंने कहा कि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जोगेंद्र कुमार के निर्देश पर 81 लोगों को सूची में शामिल किया गया है। जिले में अब कुल 1,543 हिस्ट्रीशीटर/ आपराधिक रिकॉर्ड वाले व्यक्ति हैं। कफील खान के भाई अदील खान ने बताया कि डॉक्टर के खिलाफ हिस्ट्रीशीट 18 जून, 2020 को खोली गई थी, लेकिन इसकी जानकारी शुक्रवार को मीडिया को दी गई।

मांगे दो सिक्योरिटी गॉर्ड
शनिवार को जारी एक वीडियो संदेश में कफील खान ने कहा कि ‘यूपी सरकार ने मेरी हिस्ट्रीशीट खोली है। वह कहते हैं कि वह मुझकर नजर रखेंगे। यह अच्छी बात है। मुझे दो सुरक्षा गार्ड दिए जाऐंगे जो मुझ कर 24 घंटे निगरानी रखेंगे। कम से कम मैं खुद को फर्जी मामलों से बचा पाऊंगा। उत्तर प्रदेश में स्थिति ऐसी है कि अपराधियों पर नजर नहीं रखी जाती है, लेकिन निर्दोष व्यक्तियों की हिस्ट्रीशीट खोली जाती है।’

AMU पर भाषण देने के बाद हुए थे गिरफ्तार
10 जनवरी 2019, को नागरिकता विरोधी (संशोधन) अधिनियम (सीएए) विरोध प्रदर्शन के दौरान अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भाषण देने के बाद खान को जनवरी 2020 में गिरफ्तार किया गया था। बाद में उन्हें कड़े राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत आरोपित किया गया। 1 सितंबर 2020, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एनएसए के तहत खान की नजरबंदी को रद्द कर दिया था और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में उनके भाषण से नफरत या हिंसा को बढ़ावा नहीं दिया, यह कहते हुए उनकी तत्काल रिहाई का आदेश दिया गया था।

2017 में आये थे सुर्ख़ियों में
अपने वीडियो संदेश में खान ने यह भी कहा कि ‘उन्होंने राज्य सरकार को पत्र लिखकर गोरखपुर के बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज में अपने पद पर बहाल करने का अनुरोध किया था।’ बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 2017 की घटना के बाद खान सुर्खियों में आए, जिसमें ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी के कारण कई बच्चों की मौत हो गई। प्रारंभ में, उन्हें आपातकालीन ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था के लिए बच्चों के रक्षक के रूप में सम्मानित किया गया था, लेकिन बाद में उन्हें अस्पताल के नौ अन्य डॉक्टरों और कर्मचारियों के साथ कार्रवाई का सामना करना पड़ा, जिनमें से सभी को बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया।