टीम इंस्टेंटखबर
डॉक्टर कफील खान से अदालत में हारी योगी सरकार ने अंततः उत्तर प्रदेश के गोरखपुर स्थित बाबा राघव दाव मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत के मामले में उन्हें बर्खास्त ही कर दिया।

इस मामले में योगी सरकार ने कफील खान को पहले निलंबित किया. वह जेल भी गए थे. लेकिन अदालत ने उन्हें सभी मामलों में बरी किया। अदालत में मुंह की खाने के बाद आख़िरकार योगी सरकार ने उनके खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई की है.

कफील खान के खिलाफ लगे आरोपों की जांच एक कमेटी कर रही थी और अब चिकित्सा शिक्षा विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए डॉ. कफील खान को बर्खास्त कर दिया है. गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अगस्त 2017 को ऑक्सिजन की कमी से कई बच्चों की मौत हो गई थी. तमाम विवादों के बाद 22 अगस्त 2017 को कफील खान को प्रथम दृष्टया आरोपी मानते हुए निलंबित कर दिया गया. उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई थी. सस्पेंशन के बाद डॉ. कफील को डीजीएमई के दफ्तर से अटैच कर दिया गया था. इस मामले में डॉ. कफील समेत 9 लोगों पर आरोप था.

इधर सस्पेंशन के खिलाफ डॉ. कफील ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस बीच कफील के खिलाफ सरकार ने फिर से जांच के आदेश दिए. हाई कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने 24 फरवरी 2020 को कफील के खिलाफ फिर से हो रही जांच के आदेश वापस ले लिए. सरकार ने इस मामले में 15 अप्रैल 2019 को जांच अधिकारी की ओर से दायर जांच रिपोर्ट को ही मान लिया था. इस रिपोर्ट में डॉ. कफील खान को निर्दोष पाया गया था. रिपोर्ट में कहा गया था कि डॉ. कफील खान के खिलाफ भ्रष्टाचार या लापरवाही के सबूत नहीं मिले हैं.

बर्खास्त किए जाने के मामले में डॉ. कफील ने कहा कि उनका केस हाई कोर्ट में पेंडिंग है. कोर्ट ने 7 दिसंबर को तारीख दी है. उन्होंने कहा कि उन्हें न्यायपालिका पर भरोसा है. वह बर्खास्तगी के खिलाफ कोर्ट में अपील करेंगे. विभागीय जांच की रिपोर्ट लोक सेवा आयोग को भेजी गई है. आयोग ने डॉक्टर कफील को बर्खास्त कर दिया है. इस संबंध में आयोग से चिकित्सा शिक्षा विभाग को पत्र भेजकर कफील के बर्खास्त होने की जानकारी दी गई है.