गोदरेज एग्रोवेट लिमिटेड (जीएवीएल) ने ‘कृषि क्षेत्र में महिलाएं’ विषय पर पहले शिखर सम्मेलन का आयोजन किया। इस क्षेत्र में महिलाओं के योगदान की सराहना करने के लिए की गई इस अनूठी पहल, शिखर सम्मेलन का उद्देश्य है, कृषि से जुड़े विविध दृष्टिकोणों को एक साथ लाना और भारत के कृषि क्षेत्र में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करने और इससे जुड़ी परेशानी दूर करने के लिए विचारोत्तेजक बातचीत में शामिल होना। आम तौर पर एक गलतफहमी है कि कृषि एक पुरुष-प्रधान क्षेत्र है लेकिन यदि अपने देश के आंकड़े पर नज़र डालें तो एक अलग ही तस्वीर उभरती है। भारत में, 8.61 करोड़ महिलाएं, जो देश की कुल महिला श्रमिकों का 60 प्रतिशत हैं, वे सभी कृषि में कार्यरत हैं।1 ग्रामीण इलाकों में अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर महिलाओं का अनुपात, 84 प्रतिशत है। दूसरी ओर, कृषि-व्यवसायों में भी, सभी पदों पर महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक बनी हुई है। इसलिए शिखर सम्मेलन का उद्देश्य है, भारतीय कृषि में महिलाओं की महत्वपूर्ण लेकिन अक्सर दरकिनार की गई भूमिका को उजागर करना। कृषि-खाद्य क्षेत्र में महिलाओं के लिए रोज़गार क्षमता बढ़ाने पर पैनल चर्चा में कौशल अंतराल (स्किल गैप) के विभिन्न पहलुओं पर गहराई से चर्चा की गई, जिसका सामना क्षेत्र में महिलाओं को करना पड़ता है और इस पर भी बात हुई कि कैसे शैक्षणिक और औद्योगिक क्षेत्र के बीच गठजोड़ इस परेशानी को दूर करने में सहायता कर सकता है। अन्य पैनल चर्चा में नेतृत्व की भूमिकाओं में महिलाओं को शामिल करने और आगे बढ़ाने पर बात हुई और उद्योग में महिलाओं को सशक्त बनाने की ज़रूरत पर रोशनी डालते हुए विचारों का आदान-प्रदान हुआ। कंपनी की इस पहल और शिखर सम्मेलन के आयोजन पर अपनी टिप्पणी में, जीएवीएल के प्रबंध निदेशक, बलराम सिंह यादव ने कहा, “कृषि क्षेत्र में हमारी महिला किसानों की विशाल उपस्थिति और अपार योगदान के बावजूद, उनके पास आवश्यक संसाधनों की कमी है। इसलिए ऐसे देश में जहां हमें एक अरब से ज़्यादा आबादी का पेट भरना है, हमें एक ऐसा पतितंत्र बनाने की ज़रूरत है, जो न केवल खेतों में बल्कि कृषि-व्यवसायों में भी महिलाओं को बढ़ावा दे। उन्हें आवश्यक ज्ञान, बुनियादी ढांचा और सहायता प्रदान करने से निश्चित रूप से हमें देश के समग्र कृषि उत्पादन को बढ़ाने में मदद मिलेगी।