लखनऊ
अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने कहा है कि योगी सरकार मदरसों के भरोसे अपना बेड़ा पार करना चाहती है लेकिन उसका डूबना तय है।

प्रदेश सरकार द्वारा कथित अवैध मदरसों पर गठित एसआईटी की रिपोर्ट पर जारी प्रेस विज्ञप्ति में शाहनवाज़ आलम ने कहा कि 1999 में राम प्रकाश गुप्ता की भाजपा सरकार और 2000 की राजनाथ सिंह सरकार ने भी मदरसों की छवि खराब करने के लिए ऐसी ही रिपोर्ट जारी करवाई थी। उसमें भी नेपाल से सटे ज़िलों के मदरसों को विदेशी फंडिंग से बना बताया गया था। लेकिन उस समय भी सरकार इन आरोपों के समर्थन में कोई प्रमाण नहीं दे पायी थी। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि एसआईटी के अधिकारियों ने योगी जी को खुश करने के लिए उस समय वाली रिपोर्ट को ही फिर से जारी कर दिया है। जिसका कोई भी आधार नहीं है।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि मदरसे, मस्जिद, मंदिर या धर्मशालाओं का निर्माण आम लोगों के चंदे से किया जाता है। अधिकतर लोग दो रुपये और पांच रुपये भी देते हैं। जिसका हिसाब न तो कोई रखता और ना ही ऐसा कर पाना संभव है। उन्होंने कह कि मदरसों का फंड पूछने से पहले भाजपा को अपनी फंडिंग का खुलासा करना चाहिए कि उसे 2022 -23 के वित्तीय वर्ष में एलेक्टरल बॉण्ड से 13 हज़ार करोड़ रूपये किसने दिए। पहले भाजपा को अपनी फंडिंग का स्रोत बताना चाहिए उसके बाद ही उसे किसी से भी फंडिंग का स्रोत पूछने का अधिकार है।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि मदरसों से पहले दलितों और पिछड़ों को पढ़ने का अधिकार नहीं था। इसी तरह ईसाई मिशनरियों के आने से पहले आदिवासियों के लिए स्कूलों के दरवाजे बन्द थे। इसीलिए मनुवादी व्यवस्था की पक्षधर आरएसएस और भाजपा मदरसों और मिशनरी स्कूलों की छवि खराब करने की कोशिश करते रहते हैं। उन्होंने कहा कि मदरसों के सुचारु संचालन के लिए इंडिया गठबंधन की सरकार बनवाना सभी की सामूहिक ज़िम्मेदारी है।