JDU के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का निधन हो गया है. खबर की पुष्टि उनकी बेटी ने कर दी है. 75 साल की उम्र में शरद यादव ने अंतिम सांस ली. बिहार की राजनीति में अपनी अलग पहचान रखने वाले शरद यादव का जाना सभी को दुखी कर गया है. उनकी समाजवाद वाली राजनीति ने उन्हें जनता के बीच लोकप्रिय बना दिया था. लेकिन अब उस महान नेता ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया है. गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में उनका निधन हुआ है.

शरद यादव की बेटी सुभाषिनी ने ट्विटर पर अपने पिता की मौत पर शोक व्यक्त किया है. उन्होंने लिखा है कि पापा नहीं रहे. इस महान नेता ने अपने कई दशक की राजनीति में काफी कुछ देखा है. बिहार में लालू राज के चश्मदीद रहे थे, जेडीयू को जमीन पर मजबूत किया था और कई अहम राजनीतिक घटनाओं में एक सक्रिय भूमिका निभाने वाले रहे. शरद यादव की निजी जिंदगी की बात करें तो उनका जन्म 1947 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में एक गांव में हुआ था.

पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा- शरद यादव जी के निधन से बहुत दुख हुआ। अपने लंबे सार्वजनिक जीवन में उन्होंने खुद को सांसद और मंत्री के रूप में प्रतिष्ठित किया। वे डॉ. लोहिया के आदर्शों से काफी प्रभावित थे। मैं हमेशा हमारी बातचीत को संजो कर रखूंगा। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदनाएं, शांति।

कांग्रेस पार्टी ने भी अपने ट्वीटर हैंडल से ट्ववीट करते हुए लिखा है, JDU के पूर्व अध्यक्ष, पूर्व केंद्रीय मंत्री, वरिष्ठ समाजवादी नेता श्री शरद यादव जी का निधन भारतीय राजनीति के लिए अपूरणीय क्षति है। ईश्वर उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें और उनके परिवार एवं समर्थकों को यह पीड़ा सहने की शक्ति प्रदान करें।

शरद यादव के निधन राजनीतिक गलियारों में शोक की लहर है. बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यावद ने नेता के निधन पर शोक जताया है. उन्होंने ट्वीट कर कहा, ” मंडल मसीहा, राजद के वरिष्ठ नेता, महान समाजवादी नेता मेरे अभिभावक आदरणीय शरद यादव जी के असामयिक निधन की खबर से मर्माहत हूँ. कुछ कह पाने में असमर्थ हूँ. माता जी और भाई शांतनु से वार्ता हुई। दुःख की इस घड़ी में संपूर्ण समाजवादी परिवार परिजनों के साथ है.”

शरद यादव पढ़ाई के समय से ही राजनीति में दिलचस्पी रही और 1971 में उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की. डॉ. राम मनोहर लोहिया के विचारों से प्रेरित होकर सक्रिय युवा नेता के तौर पर शरद यादव ने कई आंदोलनों में हिस्सा लिया और MISA के तहत 1969-70, 1972 और 1975 में हिरासत में लिए गए. सक्रिय राजनीति में शरद यादव ने साल 1974 में कदम रखा था. वे पहली बार मध्य प्रदेश की जबलपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए थे. वो जेपी आंदोलन का समय था और वह हल्दर किसान के रूप में जेपी द्वारा चुने गए पहले उम्मीदवार थे.