पूर्व हवलदार विमल कुमार को आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल से बड़ी राहत, विकलांगता पेंशन बहाल
मेडिकल बोर्ड के अपूर्ण और संक्षिप्त तर्क के आधार पर लंबी सैन्य सेवा को नजरंदाज नहीं किया जा सकता: विजय कुमार पाण्डेय
लखनऊ
आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल, रीजनल बेंच लखनऊ ने पूर्व हवलदार विमल कुमार के पक्ष में फैसला सुनाया । ओरिजिनल एप्लीकेशन संख्या 1104/2023 पर सुनवाई करते हुए माननीय न्यायमूर्ति अनिल कुमार (सदस्य-न्यायिक) और माननीय वाइस एडमिरल अतुल कुमार जैन (सदस्य-प्रशासनिक) की पीठ ने उन्हें तीस प्रतिशत विकलांगता पेंशन देने का आदेश दिया, जिसे राउंड ऑफ कर पचास प्रतिशत किया जाएगा ।
रायबरेली जिले की डलमऊ तहसील निवासी विमल कुमार वर्ष 1997 में सिग्नल कोर में भर्ती हुए और 31 दिसम्बर 2021 को लो मेडिकल कैटेगरी में सेवानिवृत्त हुए। 23 अक्टूबर 2021 को रिलीज मेडिकल बोर्ड ने उनकी बीमारी ‘स्टेज-1 हाइपरटेंशन (I-10)’ को तीस प्रतिशत स्थायी विकलांगता मानते हुए, इसे सेवा से जुड़ा नहीं मानकर पेंशन देने से इंकार कर दिया। पहली अपील भी निरस्त होने के बाद उन्होंने न्याय पाने के लिए ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाया।
सुनवाई के दौरान आवेदक की ओर से अधिवक्ता विजय कुमार पांडेय ने प्रभावशाली दलीलें प्रस्तुत कीं। पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के धर्मवीर सिंह बनाम भारत सरकार (2013) और राम अवतार बनाम भारत सरकार (2014) जैसे अहम फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि मेडिकल बोर्ड का तर्क अपूर्ण और संक्षिप्त है। पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि शांति स्टेशन पर भी सैनिकों को कठोर प्रशिक्षण और मानसिक दबाव का सामना करना पड़ता है, इसलिए बीमारी को सेवा से बढ़ी हुई मानना न्यायोचित है।
अंततः ट्रिब्यूनल ने आदेश दिया कि पूर्व हवलदार विमल कुमार को तीस प्रतिशत विकलांगता पेंशन का लाभ दिया जाएगा, जिसे राउंड ऑफ कर पचास प्रतिशत किया जाएगा। यह लाभ उनकी सेवानिवृत्ति की तिथि से लागू होगा। चार माह के भीतर आदेश का पालन सुनिश्चित न होने पर आठ प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ भुगतान का प्रावधान भी किया गया। यह निर्णय उन सभी पूर्व सैनिकों के लिए उम्मीद की किरण है, जिन्हें अब तक दिव्यांगता के आधार पर पेंशन से वंचित किया जाता रहा है ।