तेहरान: संयुक्त राष्ट्र संघ ने चेतावनी दी है कि इस्राईली सैनिकों द्वारा पूर्वी यरुशलम (बैतुल मुक़द्दस) से जबरन फ़िलिस्तीनियों का निष्कासन, युद्ध अपराध माना जा सकता है।

शुक्रवार को जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र संघ के मानवाधिकार कार्यालय के प्रवक्ता रूपर्ट कॉलविले ने पत्रकारों से बात करते हुए कहाः हमारी मांग है कि लोगों (फ़िलिस्तीनियों) को उनके घरों से जबरन निकालने का सिलसिला तुरंत बंद किया जाए।

ग़ौरतलब है कि इस्राईली शासन, पूर्वी बैतुल मुक़द्दस के शेख़ जर्राह इलाक़े में फ़िलिस्तीनियों के घरों को ध्वस्त करने की योजना बना है, ताकि वहां अवैध निर्माण कर सके।

एक इस्राइली अदालत के फ़ैसले को आधार बनाकर, क़रीब 28 फ़िलिस्तीनी परिवारों को उनके घरों से जबरन बेदख़ल किया जा रहा है।

रेड क्रिसेंट ने गुरुवार को एक बयान में कहा था कि जबरन निष्कासन के विरोध में रैली कर रहे फ़िलिस्तीनियों पर इस्राइली शासन के सैनिकों ने हमला करके कम से कम 22 लोगों को बुरी तरह से घायल कर दिया और 11 अन्य को गिरफ़्तार कर लिया।

कॉलविले का कहना था कि पूर्वी यरूशलम (बैतुल मुक़द्दस) अवैध अधिकृत फ़िलिस्तीन का भाग रहेगा, जहां अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों नियम लागू होते हैं।

उन्होंने कहा, अवैध अधिकृत इलाक़े में क़ब्ज़ा करने वाली शक्ति, लोगों की निजी संपत्ति नहीं छीन सकती है।

राष्ट्र संघ के मानवाधिकार कार्यालय के प्रवक्ता का कहना था कि अंतरराष्ट्रीय क़ानून के तहत, अवैध अधिकृत क्षेत्र में नागरिकों को किसी दूसरी जगह स्थानांतरित करना, ग़ैर-क़ानूनी है और यह युद्ध अपराधों की श्रेणी में आ सकता है।

पिछले एक हफ़ते से इस्राईल के क़ब्ज़े वाले शेख़ जर्राह के इलाक़े में इस्राईली सैनिकों की मदद से फ़िलिस्तीनियों के घरों में घुसकर उन्हें वहां से ज़बरदस्ती निकालने की धमकियां दे रहे हैं।

हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो भी वायरल हुआ है, जिसमें एक इस्राईली को एक फ़िलिस्तीनी महिला से कहते हुए देखा जा सकता है कि अगर मैं तुम्हारे घर पर क़ब्ज़ा नहीं करूंगा तो कोई दूसरा कर लेगा।