31 जुलाई को जारी आंकड़ों के अनुसार, जून तिमाही में भारत का राजकोषीय घाटा तेज़ी से बढ़ा और पूरे वर्ष के लक्ष्य का 17.9 प्रतिशत रहा, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह 8.4 प्रतिशत था।

आरबीआई द्वारा अपेक्षा से अधिक लाभांश दिए जाने से तिमाही के दौरान बढ़े हुए पूंजीगत व्यय और कम कर संग्रह के प्रभाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

केंद्र द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, पूंजीगत व्यय 2.75 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पूरे वर्ष के लक्ष्य का 24.5 प्रतिशत है, जो वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में किए गए 16.3 प्रतिशत से अधिक है।

कर संग्रह 19 प्रतिशत रहा, जो पिछले वर्ष के 21.3 प्रतिशत के आंकड़े से कम है।

सरकार का कुल व्यय 50.65 लाख करोड़ रुपये के पूरे वर्ष के लक्ष्य का 24.1 प्रतिशत रहा, जो पिछले वर्ष के 20.1 प्रतिशत से अधिक है।

आरबीआई ने वित्त वर्ष 2025 के लिए 2.69 लाख करोड़ रुपये के हस्तांतरण की घोषणा की थी, जो पिछले वर्ष के 2.11 लाख करोड़ रुपये के हस्तांतरण से 27 प्रतिशत अधिक था। विशेषज्ञों का मानना है कि इस उच्च हस्तांतरण से राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को 4.4 प्रतिशत पर नियंत्रित रखने में मदद मिलने की उम्मीद है, जबकि कुछ का अनुमान है कि वर्ष के अंत तक यह आंकड़ा घटकर 4.2 प्रतिशत रह सकता है।