लखनऊ:
दादा मियाँ के 115 वें उर्स के पांचवें दिन सुबह 6 बजे क़ुरआन ख़्वानी हुई जिसमें कसीर तादाद में मर्दों के साथ ख़वातीने इस्लाम ने भी हिस्सा लिया। फिर सज्जादानशीन ख़्वाजा मुहम्मद सबाहत हसन शाह मद्देज़िल्लहुल आली के हुक्म से 10:30 बजे दिन क़ुरआने पाक की तिलावत के साथ क़ुल शरीफ़ की महफिल का आगाज़ हुआ। इस दौरान समा ख़ाना लोगों के असर दहाम से तंग हो गया बहरहाल जिसे जहां जगह मिली वहीं बैठ गया। इसके बाद क़ुल शरीफ का आग़ाज़ हुआ गुज़िश्ता रोज़ की तरह सारे उमूर अंजाम दिए गए फिर फातिहा व दुआ ख़्वानी हुई। इसी दरमियान दारुल ऊलूम शाहे रज़ा के तालिबे इल्म की दस्तारबंदी भी हुई। और साहिबे सज्जादा की जानिब से मुल्क की गंगा जमुनी तहजीब की बक़ा और ज़ाएरीने किराम की खुशहाली के लिए मख़सूस दुआ की गई।

शाम को 6 बजे समाजवादी के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री और विधायक मिलकीपुर श्री अवधेश प्रसाद जी ने दादा मियां की मज़ार पर फूल और चादर पेश की और दरगाह शरीफ़ के सज्जादानशीन से मुलाक़ात की। अवधेश प्रसाद ने कहा कि मुझे दादा मियाँ की मज़ार पर आकर बहुत अच्छा लगता है और बहुत सुकून मिलता है और यह भी कहा कि मुझे जब भी समय मिलता है तो मैं दर्शन के लिए उपस्थित हो जाता हूँ।

क़ुल शरीफ के बाद रंगे महफ़िल हुई उसके बाद लंगर तक़सीम किया गया फिर असर की नमाज़ के बाद मज़ारे पाक का ग़ुस्ल हुआ फिर संदल शरीफ का एहतेमाम हुआ। फिर बाद नमाज़े इशा 10:00 बजे रात हर साल की तरह इस साल भी क़ौमी यकजहती के उनवान पर एक ऑल इंडिया ग़ैर तरही मुशायरे व कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें जाज़िम लखनवी, साहिल आरफ़ी, अनवार ख़ैराबादी, नसीम लखनवी, अतीक अरहमा, अस्मा उल हक़, आज़म सिद्दीक़ी, रफ़त शैदा सिद्दीक़ी, फ़ारुक़ आदिल, संजय मिश्रा शौक़, जैसे बा कमाल शायरों ने अपनी हाज़िरी दर्ज कराई। मुशायरे की सदारत की ज़िम्मेदारी जाज़िम लखनवी और निज़ामत के फ़राएज़ रिज़वान फ़ारुक़ी साहब ने अदा फ़रमाए।