लेख

रोशनियों का त्यौहार दीपावली

मो0 आरिफ नगरामी

हमारा मुल्क हिन्दुस्तान तहजीबी व रवायती त्यौहारों के लिये पूरी दुनिया मेें मशहूर है। हमारे वतन अजीज मेें शायद ही कोई दिन ऐसा गुजरता होगा जब कोई न कोई त्यौहार न मनाये जाते हैैं बल्कि कई बार एक ही दिन मेें कई कई त्यौहार मनाये जाते हैं और खास बात यह है कि यहां के सारे त्यौहार चांद की तारीखोें के हिसाब से मनाये जाते हैं और ज्यादातर मौसम के बदलते मिजाज़ के साथ वाबस्ता हे।, दीपावली भी एक ऐसा ही त्यौहार है जो शमाली हिन्दुस्तान मेें सर्दियाँ लाता है तो जुनूबी हिन्द मेें बरसात के खात्मे की खबर देता है। पहाडोें के लिये यह त्यौहार पतझड़ का पैगाम लाता है तो साहिली इलाकोें में बहार की आमद का एलान करता है।

हिन्दुस्तान एक अजीम जम्हूरी मुल्क है यहां मुख्तलिफ मजाहिब, अकाएद, तहजीबोें ओर ज़ातों के लोग बड़ी तादाद में एक साथ रहते हैं। हर मजहब और अकीदे के मानने वालों के अपने तहजीबी व रवायती त्यौहार हैैं।

कुछ त्यौहार ऐसे हैं जिनको सब मिल कर मनाते हैं। हर त्यौहार का जश्न मुनफरिद तरीके से इससे मुन्सलिक लोगों के रस्म व रवाज और तारीखी अहमियत के लेहाज से मनाया जाता है। हमारा मुल्क हिन्दुस्तान अनेकता में एकता की शानदार मिसाल है, यहां हिन्दू, मुसिलम, सिख , जैन, बुद्व, ईसाई,पारसी, और यहूदी वगैरा एक साथ रहते हैैं।

हमारे मुल्क के बड़े त्यौहारोें में ईद, बक़रीद , रक्षा बंधन, दशहरा, दीपावली, राम नवमी, लोहड़ी, पोंगल, ईद मीलादुन्नबी, गणेश चतुर्थी, दुर्गा पूजा, गुरू पूर्णिमा, शबे बरात, गुड फ्राई डे, गुरू नानक जयंती, क्रिसमस वगैरा अहम हैं। अलग अलग त्यौहारों के अलग अलग रंग देखने को मिलते हैै। दशहरे के बाद दीपावली रोशनी का त्यौहार है, दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत की खुशी मेें मनाया जाता है। इसी तरह मर्यादा पुरषोत्तम राम जी की वापसी पर अयोध्या के लोगों ने अमावस की काली रात चिराग़ाँ करके रोशन कर दिया था। इनके आने के खुशी में घरों को सजाया गया, लोग एक दूसरे से गले मिले। मिठाईयां तकसीम कीं गयीं, तोहफे तकसीम किये गये और यह रवायत आज भी जारी है ओर मुस्तकबिल मेें भी जारी रहेगी।

दीपावली एक ऐसा त्यौहार है जो मुल्क के बेशतर हिस्सोें में राम चन्द्र जी की फतेह लंका से वापसी के जश्न के तौर पर मनायी जाती हैं, लेकिन मगरिबी हिन्दुस्तान मेें खास कर बंगाल में दीपावली को काली पूजा के बतौर मनाया जाता है। दीपावली को ताजिरों और कारोबारियों का तब्का अपने पुराने खाते बंद करके नये खाते खोलने के लिए मुबारक दिन समझता है। ज्यादातर लोग दीपावली के मौके पर गणेश लक्ष्मी की पूजा करते हैै। लक्ष्मी जी को धन की देवी कहा जाता है और तमाम लोगोें का मानना हे कि वह जिससे खुश हो जायेें उसका घर धन और दौलत से भरा रहता है। लक्ष्मी जी को दीपावली के दिन हर इन्सान खुश रखने की कोशिश करता है दीपावली के दिन आतशबाजी ,और पटाखे जलाने की रस्म भी काफी पुरानी है, बहुत से लोगों का मानना है कि पटाखे सिर्फ खुशी के इजहार के लिये छुडाये जाते है। मगर कुछ लोगोें का ख्याल है कि अमावस की रात मेें जो बुरी आत्मएं आ जाती हैं वह पटाखोे की आवाज सुन कर भाग हाती है। कहा जाता है कि दीपावली के दिन महा भस्मासुर को मारा था उसने दुनिया के नेजाम को दरहम-बरहम करने की कोशिश की थी। वह कुदरत को चैलेेंज कर के खुद खुदा बनना चाहता था। सच्चाई यह है कि जब इन्सान ने कुदरत को चैलेेंज करने की कोशिश की और तौहीद का इन्कार किया। तब कुदरत ने अपनी मौजूदगी का एहसास कराया। जालिमोें को उनके किये की सजा मिली।

दीपावली के दियोें से भी यह पैगाम मिलता है कि अंधेरा कितना ही घना क्योें न हो वह उजाले का मुकाबला नहीं कर सकता। एक छोटा सा दिया जलते ही अंधेरा दूर भाग जाता है। यानी बुराई कितनी ही बड़ी क्यों न हो, वह अच्छाई का मुकाबला नहीं कर सकती। इन त्यौहारों के जरिये यह सबक याद दिलाने की कोशिश की गयी है कि इन्सान हालात से घबरा कर मायूस न हो। दीपावली मेें रोशनी अलामत है अच्छाई की। और ऐसी उम्मीद की जाती है कि जो रोशनी को पसंद करता है वह किसी की ज़िन्दगी मेें अंधेरा नही कर सकता। दीपावली के दियों से दुनिया को रोशन करने के साथ तन मन को भी रोशन किया जाय ताकि यह रोशनी पूरे मुल्क को रोशनियों से भर दे।

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