टीम इंस्टेंटखबर
करनाल में किसानों का सर फोड़ देने का आदेश देने वाले SDM और लाठीचार्ज जिसमें एक दर्जन किसानों गंभीर रूप से घायल होने गए थे के खिलाफ किसानों की मांगों को हरियाणा सरकार ने मानने से साफ़ इंकार कर दिया है. खट्टर सरकार के इस इंकार के बाद किसानों और सरकार के बीच एक बार फिर ठन गई.

करनाल में बुधवार को किसान संगठनों और प्रशासन के बीच दोपहर 2 बजे फिर बातचीत हुई, लेकिन वार्ता एक बार फिर विफल रही. वहीं, किसानों ने लघु सचिवालय के बाहर प्रदर्शन जारी रखने का फैसला किया है.

किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा, ‘हम सिंघु और टिकरी बॉर्डर की तरह यहां स्‍थायी तौर पर प्रदर्शन कर सकते हैं.’ टिकैत ने बताया कि हमारी आज प्रशासन के साथ 3 घंटे मीटिंग हुई. सरकार SDM(आयुष सिन्हा) पर कोई भी कार्रवाई करने के लिए तैयार नहीं है, ऐसे में हमने तय किया है कि हमारा धरना प्रदर्शन जारी रहेगा, हमारा धरना स्थल यही रहेगा. हम चाहते हैं कि अधिकारी के ख़िलाफ़ कार्रवाई हो.

हालांकि, करनाल से इतर जींद में बुधवार सुबह किसानों ने हाइवे को खोल दिया. जींद-चंडीगढ़, जींद-करनाल, जींद-दिल्ली हाइवे को किसानों द्वारा खोल दिया गया है, पहले यहां जाम लगाया गया था. किसानों का कहना है कि अगर करनाल से कोई आदेश आता है, तो वह फिर रास्ते जाम कर देंगे. अभी के लिए ट्रैफिक व्यवस्था दुरुस्त कर दी गई है.

बता दें कि करनाल में अगस्त के आखिरी दिनों में हुए लाठीचार्ज के खिलाफ किसानों ने बुधवार को प्रदर्शन किया. किसानों की मांग थी कि लाठीचार्ज में मारे गए किसान के बेटे को सरकारी नौकरी मिले, परिवार को मुआवजा मिले. साथ ही एसडीएम पर हत्या का केस चलाया जाए लेकिन सरकार ने इसे मानने से इनकार किया.

करनाल के सचिवालय के बाहर किसानों ने तभी धरना देना शुरू कर दिया. राकेश टिकैत, गुरनाम सिंह चढ़ूनी समेत अन्य बड़े किसान नेता धरना प्रदर्शन में शामिल हुए. इस दौरान पानी की बौछारें की गई, लेकिन किसान अपनी जगह से नहीं हटे. बुधवार को भी किसानों द्वारा अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन करने की बात कही गई है.

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में बड़ी पंचायत करने के बाद किसानों का एक ही हफ्ते में ये दूसरा हल्ला बोल है. कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन एक साल से जारी है, लेकिन सरकार-किसानों में कोई बात नहीं बन पाई है.