दुबई में इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलिया को धराशायी कर अपनी तीसरी लगातार जीत दर्ज की। पहले क्रिस वोक्स ने शानदार स्विंग गेंदबाज़ी का मुज़ाहिरा किया और उसके बाद जॉस बटलर की तूफ़ानी पारी ने ऑस्ट्रेलिया के छक्के छुड़ा दिए और 126 रनों के लक्ष्य को 8.2 ओवर शेष रहते पूरा किया गया।

नई गेंद के साथ सटीक गेंदबाज़ी करते हुए वोक्स और क्रिस जॉर्डन की जोड़ी ने ऑस्ट्रेलिया को पावरप्ले के अंत में तीन विकेट के नुक़सान पर 21 रन के स्कोर पर ला खड़ा किया था। भले ही उन्होंने पारी को संभालते हुए 10 ओवरों तक 41 रन जोड़ लिए थे, उनके लिए सम्मानजनक स्कोर अभी दूर था।

ऑस्ट्रेलिया का निचला क्रम पारी के आख़िरी चार ओवर में 50 रन बनाने में क़ामयाब रहा और दूसरी पारी में भी बड़े शॉट का सिलसिला जारी रहा। जेसन रॉय और जॉस बटलर ने ताबड़तोड़ अंदाज़ से बल्लेबाज़ी करते हुए पावरप्ले में इस टूर्नामेंट का सबसे बड़ा स्कोर (66/0) बनाया जिसके बाद छक्कों की बौछार कर जॉनी बेयरस्टो ने बटलर के साथ जीत सुनिश्चित की। इस जीत ने इंग्लैंड को सेमीफ़ाइनल की दौड़ में सबसे आगे खड़ा कर दिया है।

साल 2020 में इंग्लैंड के गेंदबाज़ों को पावरप्ले में दिक़्क़त हो रही थी – 11 मैचों में वह केवल 10 विकेट झटक पाए थे। हालांकि इस टूर्नामेंट में अपने पहले तीन मैचों में उन्होंने 7.90 की औसत से 10 विकेट अपने नाम किए है और उनकी इकॉनमी भी पांच से कम की रही है। इसके पीछे का बड़ा कारण रहे है वोक्स ।

इस मैच की अपनी दूसरी ही गेंद पर उन्होंने डेविड वॉर्नर के बल्ले का बाहरी किनारा लेते हुए उनको विकेटकीपर के हाथों कैच आउट करवाया। अपने अगले ओवर में उन्होंने ग्लेन मैक्सवेल को पगबाधा किया। इन दो विकेटों के बीच उन्होंने स्टीव स्मिथ का एक लाजवाब कैच लपककर एक और सफलता में अपना योगदान दिया। जॉर्डन के साथ नई गेंद से गेंदबाज़ी करते हुए वोक्स ने थोड़ी घास वाली सतह पर पहले गेंदबाज़ी करने के निर्णय को सही साबित किया और खेल की गति को नियंत्रित किया।

इंग्लैंड ने लगातार तीसरे मैच में एक अपरिवर्तित टीम खिलाई लेकिन गेंद के साथ उन्होंने अपने दृष्टिकोण में बदलाव किया। पिछले दो मैचों के विपरित इस मैच में उन्होंने मोईन अली की बजाय आदिल रशीद से गेंदबाज़ी की शुरुआत करवाई। इंग्लैंड लेग स्पिन के ख़िलाफ़ फ़िंच को होने वाली मुश्किल का फ़ायदा उठाना चाहता था क्योंकि ऑस्ट्रेलियाई कप्तान सात बार लेग स्पिन के सामने आउट हो चुके थे।

पहले ओवर में तो आदिल रशीद कमाल नहीं कर पाए लेकिन पावरप्ले के बाद वापसी करते हुए उन्होंने मार्कस स्टॉयनिस को चलता किया। ऑफ़ स्पिन के ख़िलाफ़ फ़िंच के अच्छे आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए मोईन से गेंदबाज़ी ही नहीं करवाई गई और अपने टी20 अंतर्राष्ट्रीय करियर में पहली बार लियम लिविंगस्टन ने पूरे चार ओवर डाले। ऑफ़ स्पिन और लेग स्पिन दोनों डालने की क्षमता रखने वाले लिविंगस्टन इंग्लैंड के सबसे किफ़ायती गेंदबाज़ बनकर उभरे। उनके स्पेल के कारण कप्तान ओएन मॉर्गन टिमाल मिल्स को पारी के दूसरे भाग के लिए बचाकर रख पाए।

इंग्लैंड ने बड़ी आसानी से लक्ष्य का पीछा कर लिया। छह रन प्रति ओवर के आसपास के आवश्यक रन रेट के सामने रॉय और बटलर ने ताबड़तोड़ बल्लेबाज़ी की। रॉय ने जॉश हेज़लवुड और पैट कमिंस के ख़िलाफ़ आक्रमण किया तो वहीं बटलर ने ऐश्टन एगार के ख़िलाफ़ अपने हाथ खोले।

पावरप्ले के बाद अगले ओवर में रिव्यू के सहारे ऐडम ज़ैम्पा ने रॉय को आउट किया लेकिन दूसरे छोर से ऑस्ट्रेलिया को राहत नहीं मिली। बटलर ने एक के बाद एक बड़े शॉट लगाए और 25 गेंदों पर अपना अर्धशतक पूरा किया। इंग्लैंड को जीत के लिए 11 ओवरों में 29 रन चाहिए थे जब डाविड मलान कैच आउट हुए लेकिन तब तक जीत उनके बेहद क़रीब थी।