नई दिल्ली: इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई (Ayatollahil Uzma Syed Ali Khamenei) ने कहा है कि ईरानी राष्ट्र ने सरकार विरोधी हर कार्यवाही के मुक़ाबले में दुश्मन को निराश कर दिया है।

वरिष्ठ नेता ने रविवार को वीडियो कांफ़्रेंस द्वारा ईरान की संसद मजलिसे शुराए इस्लामी (Majlis-e-Shurae Islam) के सांसदों को संबोधित करते हुए कहा कि जैसा कि आज दुश्मन स्वयं स्वीकार कर रहे हैं कि कड़े प्रतिबंधों और बहुपक्षीय दबावों के बावजूद वे अपने ईरान विरोधी लक्ष्यों को हासिल करने में सफल नहीं हुए।

वरिष्ठ नेता ने इस मुलाक़ात में देश की भौतिक क्षमताओं और शक्तिशाली ढांचे तथा राष्ट्र की ईमानी और अध्यात्मिक क्षमताओं की ओर इशारा किया और कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि मौजूद सारी समस्याएं हल होने योग्य हैं और संसद को समस्याएं को प्राथमिकता देकर इधर उधर की बातों से बचना चाहिए और समस्याओं के निवारण के अंतर्गत पूरी निष्ठा के साथ जनता की मदद करनी चाहिए ताकि इसके प्रभाव पूरी तरह दिखाई दें।

वरिष्ठ नेता ने ग्यारहवीं संसद को इस्लामी क्रांति (Islamic revolution) की सफलता के बाद की सबसे शक्तिशाली और सबसे क्रांतिकारी संसद क़रार दिया और कहा कि क्रांतिकारी और निपुण प्रबंधों के साथ पढ़े लिखे और सक्षम युवाओं की उपस्थिति की वजह से वर्तमान संसद आशा की किरण में परिवर्तित हो गयी है।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने देश के सामने मौजूद गंभीर आर्थिक समस्या को बीमारी के समान क़रार दिया और कहा कि शक्तिशाली ढांचे और मज़बूत रक्षा शक्ति की वजह से निसंदेह देश इस बीमारी पर भी जीत हासिल करेगा।

इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता ने कोरोना से मुक़ाबले में जनता के बलिदान और प्रयासों, कमज़ोर वर्ग के लिए दिल खोलकर मदद करने , जनरल क़ासिम सुलैमानी की अंतिम शवयात्रा में बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति को ईरानी राष्ट्र की गहरी अध्यात्मिक क्षमता का नमूना क़रार दिया और कहा कि जनता ने राष्ट्रीय शक्ति के प्रतीक अर्थात जनरल क़ासिम सुलैमानी को श्रद्धांजलि देकर यह दर्शा दिया कि वह साम्राज्यवादियों के मुक़ाबले में प्रतिरोध और संघर्ष पर विश्वास रखते हैं।