नई दिल्ली: वर्ल्ड बैंक ने दावा किया है कि भारत में कोरोना महामारी के चलते करोड़ो लोग गरीब हो सकते हैं। वर्ल्ड बैंक का यह दावा हालिया ग्रोथ प्रोजेक्शन के आधार पर है। आशंका जतायी जा रही है कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था 3.2 फीसदी तक सिकुड़ सकती है। विश्व बैंक के अनुसार, दक्षिण एशिया में सबसे ज्यादा लोग कोरोना माहमारी के चलते गरीबी रेखा के नीचे चले जाएंगे। इसके बाद सबसे ज्यादा लोग सब-सहारा अफ्रीका के देशों में प्रभावित होंगे।
कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस लॉकडाउन के चलते पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़े असर के चलते करीब 10 करोड़ लोग पूरी दुनिया में गरीब हो सकते हैं। इनमें से चार करोड़ बीस लाख दक्षिण एशियाई देशों में और 3 करोड़ 90 लाख सब-अफ्रीकी देशों में शामिल हैं। वर्ल्ड बैंक की ग्लोबल इकोनोमिक आउटपुट रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है।
इससे पहले अप्रैल माह में अपने ग्लोबल ग्रोथ के आंकड़ों का इस्तेमाल करते हुए विशेषज्ञों ने अनुमान जताया था कि 4-6 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे जाने की बात कही थी।
वर्ल्ड बैंक के अनुसार, कोरोना वायरस माहमारी ने पहले यूरोप और उत्तरी अमेरिका को अपनी चपेट में लिया। इसके बाद मध्यम और कम आय वर्ग वाले देश इसकी चपेट में आए। लॉकडाउन के चलते इन देशों की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा है, जिसके चलते इन देशों में गरीबों की संख्या बढ़ेगी।
ग्लोबल इकॉनोमिक प्रॉस्पेक्ट की रिपोर्ट जारी करते हुए वर्ल्ड बैंक ने बीते दिनों कहा था कि कोरोना वायरस के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था 150 साल के सबसे बड़े संकट से घिर सकती है। वर्ल्ड बैंक के अध्यक्ष डेविड मलपास ने बताया कि 1870 के बाद यह पहला मौका है, जब किसी माहमारी के चलते इस तरह का संकट पैदा हुआ है।
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