नई दिल्ली: उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार को ग्लेशियर फटने से आई तबाही में कई दर्जन लोगों की जानें जा चुकी हैं और 150 लोगों का अभी कोई पता नहीं चल पा रहा है। बाढ़ से क्षतिग्रस्त तपोवन-विष्णुगाड परियोजना की गाद से भरी सुरंग में फंसे 25-35 लोगों तक पहुंचने के लिए बचाव दलों ने बुधवार को ड्रोन और रिमोट सेंसिंग उपकरणों की सहायता ली। लापता लोगों की तलाश में नौसेना के मरीन कमांडो जुटे हुए हैं। इस बीच मजदूरों को बचाने में जुटी सेना ने अपने ऑपरेशन में एक बड़ा बदलाव किया है। अब सेना टनल के अंदर 72 मीटर पर एक ड्रिल कर रही है।

यह ड्रिल लगभग 12 मीटर नीचे की तरफ किया जा रहा है। ड्रिल सीधा इस टनल के नीचे से गुजर रही एक दूसरी टनल में जाकर निकलेगा। जहां पर इन सभी मजदूरों और प्रोजेक्ट मैनेजर के फंसे होने की पूरी आशंका है। रात 2 बजे यह ऑपरेशन को शुरू किया गया।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पहले 75 एमएम का होल बनाना शुरू किया मगर सेना को उसमें परेशानी आई। अब लगभग 50 मिलीमीटर का होल बनाया जा रहा है। 1 मीटर ड्रिल करने के बाद ही कुछ दिक्कतें आई। जिसके बाद अब दोबारा से ड्रिलिंग का काम शुरू कर दिया है। ड्रिलिंग पूरी होते ही एक कैमरा इस ड्रिल होल के जरिए नीचे दूसरी टनल तक पहुंचाया जाएगा और फिर देखा जाएगा कि उस टनल की क्या स्थिति है। क्या फंसे हुए लोग सुरक्षित हैं या नहीं।