लखनऊ
करबला दयानतुददौला बहादुर में तीन रोज़ा मजालिस के सिलसिले की पहली मजलिस को ख़िताब करते हुए मौलाना नजीबुल हसन ज़ैदी ने ” ख़ैम-ए-हुसैनी और सुकूने क़ल्ब ” के मौज़ू पर ख़िताब किया।

मौलाना ने कहा चूकि इंसान माद्दियत में सुकूने क़ल्ब तलाश करता है इसलिए मुज़तरिब और परेशान हाल रहता है। अगर वो फितरत की पुकार पर लब्बैक कहते हुए हक़ीक़ी ख़ालिक़ की तरफ रुजू करे तो उसे असली सुकूने क़ल्ब हासिल होगा। क़ुरान मजीद में इरशाद हुआ हैं कि ख़ुदा के ज़िक्र से दिलों को सुकून हासिल होता हैं। इसलिए इंसान को चाहिए कि वो अइम्मा अ.स से मासूर दुआओं का मुतालेआ करें ताकि उसे सुकूने क़ल्ब हासिल हो।

मजलिस के आख़िर में मौलाना ने शाम में अहलेबैते रसूल अ.स की असीरी के वाक़ेए को बयान किया जिस पर सामाईन ने बेहद गिरिया किया।