पूर्व न्यायाधीश चन्द्र भूषण पाण्डेय ने दिए भारत के नव-निर्माण के सुझाव

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पूर्व न्यायाधीश चन्द्र भूषण पाण्डेय द्वारा लिखित पुस्तक “75 साल : बदलते भारत की कहानी” पर ‘लेखक के साथ बात’ एवं ‘परिचर्चा’ कार्यक्रम का आयोजन यूपी प्रेस क्लब में किया गया. 12 अध्यायों में लिखी गई इस कालजयी पुस्तक में विगत 75 वर्षों में देश में गाँव,शिक्षा, सरकारी सेवा,आन्दोलन,वकालत,राजनीति,कला एवं भाषा,लेखन व वार्ता,आज़ाद भारत,समाज,धर्म,भाग्य,भगवान,और खुश रहो जैसे विषयों का विहंगम समावेश करते हुए लेखक ने अपने अनुभव साझा किये हैं और आने वाली पीढीयों को वेहतर भविष्य देने के लिए राजनैतिक,सामाजिक और व्यवहारिक समाधान सुझाए गए हैं.

कार्यक्रम में मुख्य रूप से ऐसे सवाल उठाये गए जो भारत में लोकतंत्र के अस्तित्व से जुड़े हैं. कार्यक्रम में मुख्य रूप से उठाये गए सबालों में “क्या सन 2025 में भारत हिन्दू राष्ट्र बन जाएगा?” , “ हिन्दू राष्ट्र घोषित होने के बाद क्या हिन्दुओं को कुछ अतिरिक्त अधिकार मिल जायेंगे?” , क्या हिन्दू मुसलमान भारत में एक साथ नहीं रह सकते हैं?” , क्या कांग्रेस को बचाने के लिए सोनिया गांधी परिवार मुक्त कांग्रेस आवश्यक है ?” , क्या योगी आदित्यनाथ का प्रधानमंत्री बनना भाजपा के लिए विनाशकारी होगा ?” , क्या नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता प्रचार व झूंठ पर टिकी हुई है ?” , लोकतान्त्रिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए क्या यह आवश्यक नहीं है कि किसी राजनैतिक दल को लोकसभा और विधान सभाओं में अधिकतम दो टर्म तक ही सत्ता को सँभालने का मौका देने के लिए संवैधानिक संशोधन समय की आवश्यकता नहीं है ?” जैसे प्रश्न मुख्य थे.

कार्यक्रम में हिन्दू राष्ट्र,नरेंद्र मोदी के उदय,कांग्रेस के पतन, संवैधानिक संस्थाओं का पतन,घर्म निरपेक्षता बनाम राष्ट्रवाद बनाम नीतियों पर आधारित व्यवस्था,राजनैतिक दलों के चारित्रिक पतन,लोकतंत्र के चौथे स्तंभ मीडिया के एथिक्स में गिरावट,चुनावों में मतदाताओं की कथनी-करनी के अंतर जैसे ज्वलंत मुद्दों पर भी विस्तार से विचार विमर्श किया गया.

कार्यक्रम में विभिन्न समाचार पत्रों,पत्रिकाओं, पोर्टलों,यू ट्यूब चैनलों,सोशल मीडिया प्लेटफोर्मों के प्रतिनिधियों ने चर्चा में भाग लेकर 75 वर्षों में देश में हुए विभिन्न बदलाओं पर लेखक के साथ चर्चा की और भारत के सुनहरे भविष्य के निर्माण के लिए पूर्व न्यायाधीश चन्द्र भूषण पाण्डेय के विचारों को जाना और उनकी सराहना की.

कार्यक्रम का आयोजन सामाजिक संस्था ‘सूचना का अधिकार बचाओ अभियान’ ने किया था.