• सरकार दें आयुष्मान कार्ड, बीमा, आवास, पेंशन, शिक्षा रोजगार
  • निर्माण मजदूरों के लिए चल रही योजनाएं भी विफल

लखनऊ:
प्रदेश के असंगठित मजदूरों और निर्माण मजदूरों को आयुष्मान कार्ड, आवास, बीमा, शिक्षा, रोजगार आदि देने की मांगों को लेकर असंगठित क्षेत्र के साझा मंच का प्रतिनिधिमंडल प्रमुख सचिव श्रम श्री अनिल कुमार तृतीय से मिला और उनसे हस्तक्षेप करने मजदूर समस्याओं के हल की मांग की। प्रतिनिधिमंडल में साझा मंच के कोऑर्डिनेटर व एटक के प्रदेश महामंत्री चंद्रशेखर, यूपी वर्कर्स फ्रंट के अध्यक्ष दिनकर कपूर और संयुक्त निर्माण मजदूर मोर्चा के प्रदेश कोऑर्डिनेटर प्रमोद पटेल शामिल रहे। आज हो रही बोर्ड की बैठक में मजदूरों के हितों के संबंध में कार्य योजना बनाएं जाने और बीओसी बोर्ड कार्यालय में निर्माण मजदूरों की समस्याओं के हल के लिए तत्काल बैठक बुलाने का भी निवेदन किया गया। प्रतिनिधिमंडल को प्रमुख सचिव ने आश्वस्त किया कि मजदूरों की मांगों पर संवेदनशीलता के साथ विचार किया जाएगा और विधानसभा सत्र के बात मजदूर नेताओं से बैठक कर सवालों को हल करने की कोशिश की जाएगी।

प्रतिनिधिमंडल ने प्रमुख सचिव के संज्ञान में लाया कि प्रदेश में 8 करोड़ 30 लाख पंजीकृत मजदूरों को किसी भी योजना का लाभ नहीं दिया जा रहा है। निर्माण मजदूरों के लिए जो योजनाएं चालू भी की गई थी उनमें से ज्यादातर बंद कर दी गई है और जो चल रही हैं उनमें भुगतान नहीं हो पा रहा है। बीओसीडब्ल्यू बोर्ड के नए नए फरमान से निर्माण मजदूरों के पंजीकरण, नवीनीकरण और योजनाओं के लाभ की प्रक्रिया बेहद जटिल हो गई है। हाल ही में परिवार के प्रमाण पत्र को मांगने के कारण मजदूरों को लाभ मिलने में समस्याएं आ रही हैं और प्रदेश में बाहर से आने वाले मजदूर तो इससे वंचित ही हो गए। इसी प्रकार आधार कार्ड सत्यापन की प्रक्रिया प्रदेश स्तर पर होने के कारण मजदूरों का नवीनीकरण नहीं हो पा रहा है।

प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि इस भीषण महंगाई में मिनिमम वेज रिवीजन ना होने के कारण मजदूरों को अपने परिवार की जीविका चलाने में बेहद कठिन स्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। भयंकर बेरोजगारी के आलम में प्रदेश में मजदूर, बुनकर, नौजवान आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में मजदूरों की जीवन रक्षा के लिए प्रदेश के पंजीकृत सभी श्रमिकों को लाभार्थी का दर्जा देकर सरकार द्वारा चलाई गई जा रही सभी योजनाओं का लाभ प्रदान किया जाना चाहिए और तत्काल न्यूनतम मजदूरी का रिवीजन होना चाहिए।