मानसून का मौसम जहां एक ओर लोगों को चिलचिलाती गर्मी से राहत देता है, वहीं अपने साथ कई तरह की बीमारियां को भी लाता है, और इम्युनिटी के कमजोर होने पर हम इनकी चपेट में आ सकते हैं, खासकर बच्चे वर्षा जनित बीमारियों से ज़्यादा प्रभावित होते हैं। तापमान में उतार चढाव और नमी का स्तर बढ़ने की वजह से मानसून के दौरान संक्रमण होना एक आम बात है। इसी संक्रमण से बचने के लिये बच्चों में इम्युनिटी को बनाये रखने के लिये डाबर च्यवनप्राश ने आज बाल निकुंज इंग्लिश स्कूल, पल्टन छावनी शाखा, सेक्टर -ए सीतापुर रोड योजना में एक वर्कशॉप का आयोजन किया जिसमें बच्चों को मानसून में सर्दी खाँसी, मलेरिया, डेंगू, टायफाइड और निमोनिया जैसी बीमारियों से बचने के लिये जागरूक किया गया।

वर्कशॉप में वक्ताओं ने बताया कि मानसून के दौरान कई तरह के संक्रमण हो सकते हैं जो प्रतिरोधक क्षमता के कमजोर होने पर ज्यादा तेजी से फैलते हैं। जिससे सदियों पुरानी आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति पर आधारित औषधि की सही मात्रा, मानसून के बैक्टीरिया से लड़ने में मददगार है। एलोपैथिक चिकित्सा विज्ञान में बीमारियों का इलाज किया जाता है, जबकि प्राचीन भारतीय जड़ी-बूटियों और आयुर्वेद में दिए गए सूत्र हमारी जीवन शैली को स्वस्थ एवं ऊर्जावान बनाते हैं। वक्ताओं ने बताया कि रोज़ाना दो चम्मच डाबर च्यवनप्राश का इस्तेमाल करना, दैनिक आहार में रसायण तंत्र को शामिल करने का एक तरीका है। इस मौके पर बताया गया कि च्यवनप्राश एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक सूत्र है, जिसका इस्तेमाल कई दशकों से रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने और संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करने के लिए किया जा रहा है। डाबर च्यवनप्राश अपने रोग प्रतिरोधी प्रभावों के कारण कई तरह की बीमारियों की रोकथाम में मदद करता है। च्यवनप्राश प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में वर्णित त्रिदोष ’वात, पित्त और कफ’ को संतुलित करने में मदद करता है। डाबर च्यवनप्राश रोगाणुओं से लड़ने वाले डेंट्रिक सेल, एनके सेल और मैक्रोफेज को सक्रिय करने में मदद करता है।

वर्कशॉप के बाद डाबर इण्डिया लिमिटेड के कॉर्पोरेट कम्युनिकेशंस के मैनेजर दिनेश कुमार, स्कूल के प्रबन्ध निदेशक एचएन जायसवाल और समाजसेवी पंकज कुमार ने मीडिया को सम्बोधित किया और इस तरह की वर्कशॉप करने के उद्देश्यों के बारे में जानकारी दी.