नई दिल्ली:कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों के इलाज को लेकर भारत की केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से बदलाव किए गए हैं। जिसमें कोरोना वायरस से ठीक होने के बाद मरीजों को डिस्‍चार्ज करने की पॉलिसी में बदलाव लाए गए हैं। नई पॉलिसी आज (9 मई) सुबह जारी की गई है। मरीजों को डिस्‍चार्ज करने की पॉलिसी में जो सबसे बड़ा बदलाव यह हुआ है कि सिर्फ गंभीर मरीजों की टेस्टिंग को ही जरूरी बताया गया है। यानी हल्‍के केसेज में डिस्‍चार्ज से पहले टेस्टिंग की जरूरत को खत्‍म कर दिया गया है। जिस मरीज में अगर कोई लक्षण नहीं दिखता है या उसका हालात सामान्य होते हैं तो उसे 10 दिनों में भी डिस्चार्ज किया जा सकता है।

डिस्‍चार्ज होने के बाद मरीजों को 14 दिन आइसोलेशन में रहने की अनिवार्यता को भी खत्म कर दिया गया है यानी पेशेंट को 14 दिन की जगह 7 दिन होम आइसोलेशन में रहना होगा। डिस्‍चार्ज मरीज का 14वें दिन टेली-कॉन्‍फ्रेंस के जरिए फॉलो-अप चेकअप किया जाएगा।

जिन मरीजों में कोरोना के लक्षण नहीं दिखाई दे रहे है या बहुत ही हल्के हैं उन्हें कोविड केयर फैसिलिटी में रखा जाएगा। उनका नियमित तौर पर शरीर का टेम्‍प्रेचर, पल्‍स चेक किया जाएगा। इसके बाद देखा जाता है कि उन्हें कम से कम 3 दिनों से कोई बुखार नहीं हुआ है तो 10 दिनों के भीतर डिस्‍चार्ज किया जा सकता है। डिस्‍चार्ज से पहले उनके कोविड-19 की टेस्टिंग नहीं की जाएगी। इसके बाद मरीज को घर में 7 दिन होम आइसोलेशन में रहने का निर्देश दिया जाएगा।।

मॉडरेट केसेज यानी जिन मरीजों में कोरोना के लक्षण गंभीर हैं, उन्हें डेडिकेटेड कोविड हेल्‍थ सेंटर में ऑक्‍सीजन बेड्स पर रखा जाएगा। उसके बाद नियमित तौर पर शरीर का टेम्‍प्रेचर, पल्‍स चेक किया जाएगा। मरीज का अगले 4 दिन तक सैचुरेशन लेवल 95% से ज्‍यादा रहता है तो मरीज को 10 दिन के बाद छोड़ा जा सकता है।