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वाराणसी की जिला अदालत ने सोमवार को ज्ञानवापी शृंगार गौरी मामले की पोषणीयता पर सवाल उठाने वाली मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज कर दी और कहा कि वह पूजा के अधिकार की मांग वाली याचिका पर सुनवाई जारी रखेगी. मुस्लिम पक्ष अब इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देने की घोषणा की है. जिला जज ने अपने आदेश में कहा, ”दलीलों और विश्लेषण के मद्देनजर मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि यह मामला उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991, वक्फ अधिनियम 1995 और उप्र श्री काशी विश्वनाथ मंदिर अधिनियम 1983 तथा बचाव पक्ष संख्या 4 (अंजुमन इंतजामिया) द्वारा दाखिल याचिका 35 सी के तहत वर्जित नहीं गया है, लिहाजा इसे निरस्त किया जाता है.” मुस्लिम पक्ष के वकील मेराजुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि जिला अदालत के इस निर्णय को उच्च न्यायालय में चुनौती दी जाएगी.

वहीँ अदालत के फैसले पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का बयान सामने आया है. उन्होंने वाराणसी की जिला अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दिए जाने की बात की है. उन्होंने कहा, ‘इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील होनी चाहिए. मुझे उम्मीद है कि अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी इस आदेश के खिलाफ अपील करेगी. मेरा मानना है कि इस आदेश के बाद पूजा स्थल अधिनियम 1991 का उद्देश्य विफल हो जाएगा.’ उन्होंने कहा, इस तरह के फैसले से 1991 के वर्शिप एक्ट का मतलब ही खत्म हो जाता है. ज्ञानवापी मस्जिद केस बाबरी मस्जिद के रास्ते पर जाता दिख रहा है. अगर ऐसा रहा तो देश 80-90 के दशक मे वापस चला जाएगा.

उल्लेखनीय है कि इस मामले में पांच महिलाओं ने याचिका दायर कर हिंदू देवी-देवताओं की दैनिक पूजा की अनुमति मांगी थी, जिनके विग्रह ज्ञानवापी मस्जिद की बाहरी दीवार पर स्थित हैं. अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद समिति ने ज्ञानवापी मस्जिद को वक्फ संपत्ति बताते हुए कहा था कि मामला सुनवाई योग्य नहीं है. मामले में अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी.