नई दिल्ली : कोरोना के डेल्टा वैरिएंट का प्रकोप अभी दुनिया में कम नहीं हुआ है कि इसके एक नए वैरिएंट से खतरा महसूस किया जाने लगा है। कोविड-19 वायरस के इस नए प्रकार का नाम लैम्बडा वैरिएंट है। वैज्ञानिक एवं स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस लैम्बडा वैरिएंट को एक नए उभरते खतरे के रूप में देख रहे हैं। गत 14 जून को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोना का सबसे नया एवं सांतवां वैरिएंट बताया और इसे वैज्ञानिक नाम सी.37 दिया। डब्ल्यूएचओ ने इस नए वैरिएंट के व्यवहार पर नजर रखने की सलाह दी है।

30 से ज्यादा देशों में मिला लैम्बडा वैरिएंट
कोरोना के डेल्टा वैरिएंट की तरह यह लैम्बडा वैरिएंट 30 से ज्यादा देशों में मिला है। इसके ज्यादा संक्रामक होने की आशंका जताई जा रही है। हाालंकि, इस वायरस के संक्रमण पर अभी ज्यादा डाटा उपलब्ध नहीं है। पेरू और दक्षिण अमेरिका के अन्य देशों में लैम्बडा वैरिएंट का असर ज्यादा पाया गया है। यह वैरिएंट अभी भारत में नहीं मिला है लेकिन यह हाल में ब्रिटेन एवं यूरोप के अन्य देशों में मिला है।

पेरू में दिखा है ज्यादा असर
हालांकि कुछ रिपोर्टों में यह भी कहा गया है कि लैम्बडा वैरिएंट नया नहीं है। कम से कम अगस्त 2020 की शुरुआत से दुनिया में इसकी उपस्थिति है। माना जाता है कि पहली बार यह वैरिएंट पेरू में मिला। इस देश में करीब 80 प्रतिशत संक्रमण इसी वैरिएंट से फैला है। पड़ोसी चिली में भी यह वैरिएंट प्रभावी पाया गया है। अब तक यह वैरिएंट इक्वाडोर, अर्जेंटीना सहित कुछ दक्षिण अमेरिकी देशों में पाया गया है। मार्च के बाद यह वैरिएंट 25 से ज्यादा देशों में पाया गया है।