हर साल 10 अक्टूबर को वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे के रूप में मनाया जाता है। विभिन्न प्रकार के मानसिक विकारों के प्रति लोगों को जागरुक करने के उद्देश्य से इसे मनाया जाता है। वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ ने वर्ष 1992 में वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे की शुरुआत की थी।

कोरोना वायरस का असर सिर्फ फेफड़ों, किडनी या लीवर पर नहीं बल्कि दिमाग पर भी पड़ रहा है। एक्सपर्ट्स ने कहा कि कोविड-19 महामारी का लोगों की मानसिक सेहत पर बड़ा असर पड़ा है।

दिव्यांग जन सशक्तीकरण विभाग की सचिव शकुंतला डी गामलिन ने ‘मानसिक स्वास्थ्य पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन: कोविड-19 से परे दृष्टि’ को डिजिटल तरीके से संबोधित करते हुए मानसिक सेहत संबंधी बढ़ते मामलों पर ध्यान देने की जरूरत बताई।

उन्होंने कहा, ‘कोविड-19 महामारी का मानसिक सेहत पर बड़ा असर पड़ा है और दुनियाभर में इससे बीमारी का प्रकोप बढ़ सकता है।’ गामलिन ने कहा, ‘मानसिक स्वास्थ्य पुनर्वास के जटिल मुद्दों पर ध्यान देने के लिए सामुदायिक जागरुकता, परिवार स्तर पर परामर्श और समर्थन, शिक्षकों द्वारा परामर्श, हर स्तर पर जागरुकता और उचित नीति तथा कार्यक्रम हस्तक्षेप विकसित करने की जरूरत है।’

इससे पहले एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि कोरोना दिमाग को भी प्रभावित करता है। जी न्यूज़ की एक रिपोर्ट के अनुसार,अध्ययन बताता है कि जो लोग कोरोना वायरस से उबरते हैं, वे पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) के कारण ‘ब्रेन फॉग’ (Brain fog) और अन्य न्यूरोलॉजिकल लक्षणों का अनुभव कर सकते हैं। ब्रेन फोग खुद एक बीमारी नहीं है लेकिन कई मानसिक बीमारियों का कारण बनती है।

कोरोना के ठीक ही एमरीज कभी-कभी एकाग्रता में कठिनाई, सिरदर्द, चिंता, थकान या नींद में कठिनाई का अनुभव करते हैं। मरीजों को हमेशा यह डर बना रहता है कि संक्रमण ने उनके दिमाग को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचाया है। हालांकि शोधकर्ताओं का कहना है कि हर मामले में ऐसा जरूरी नहीं है।

यह अध्ययन पेपर द क्लिनिकल न्यूरोसाइकोलॉजिस्ट में प्रकाशित हुआ है। मुख्य शोधकर्ता न्यूरोपैसाइकोलॉजिस्ट एंड्रयू लेविन का कहना है कि मानसिक विकार से जुड़े यह लक्षण मरीज के इलाज में बाधा बन सकते हैं इसलिए कोरोना का इलाज से पहले इनका इलाज जरूरी है।

ब्रेन फोग क्या है ?
यह खुद में कोई बीमारी नहीं है बल्कि कई मानसिक बीमारियों का कारण बनती है। इस बीमारी के कारण आपको कई बीमारियां जैसे हमेशा कंफ्यूज रहना, दिमाग कमजोर होना, याददाश्त प्रभावित होना, किसी भी काम में एकाग्र न होगा। इस खतरनाक बीमारी का सबसे ज्यादा असर नौकरी करने वाले, गर्भवती और छात्रों को होता है।

ब्रेन फोग के लक्षण
यह बीमारी सेंट्रल नर्वस सिस्टम को प्रभावित करके ब्रेन को अफेक्ट कर देती है। इसे मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस भी कहते हैं। इसमें ज्यादातर लोगों को मेमोरी लॉस, वीक अटेंशन, प्लानिंग करने और बोलने में कठिनाई होने लगते हैं।

अगर आपको कभी ऐसा लगा है कि आप ठीक से किसी चीज को सोच नहीं पा रहे है या फिर किसी काम में मन लगना या फिर किसी भी चीज का निर्णय लेने में असमंजस हो रही है, तो आपको सतर्क हो जाना चाहिए।

कोरोना काल में बढ़े मानसिक विकार के मामले
कोविड-19 के प्रकोप के बाद से ऑनलाइन मंचों पर भी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को लेकर मदद मांगने वालों की संख्या बढ़ती हुई देखी गई है। इनमें बेचैनी से लेकर अकेलेपन और अपनी उपयोगिता से लेकर नौकरी चले जाने की चिंता जैसी तमाम समस्याएं शामिल हैं।

मानसिक संतुलन बेहतर बनाने के उपाय
ऐसी स्थिति में मानसिक संतुलन का बिगड़ना आम समस्या है लेकिन अगर समय रहते आपने ध्यान नहीं दिया तो समस्या ज्यादा गंभीर हो सकती है। आपको चिंता, बेचैनी, उदासी, अवसाद जैसी समस्याओं से छुटकारा पाने की कोशिश करनी चाहिए। इसके लिए आपको बेहतर खान-पान, एक्सरसाइज, व्यस्त रहना और अपने परिजनों को समय देना जैसी बातों का ध्यान रखना चाहिए।