लखनऊ:
आगामी लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की रफ्तार को रोकने के लिए समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच सीटों के तालमेल को लेकर बातचीत शुरू हो गई है. इसे लेकर पहली शुरुआती चर्चा बुधवार को दिल्ली में इंडिया अलायंस की समन्वय समिति की बैठक में हुई.

इस बैठक में मौजूद सपा के राज्यसभा सांसद जावेद अली खान ने कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल से सीट बंटवारे पर बात की. सपा नेताओं के मुताबिक, सपा ने कांग्रेस से मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में छह सीटें छोड़ने का अनुरोध किया है.

इसके साथ ही सपा ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के लिए कई लोकसभा सीटें छोड़ने का संकेत दिया है. सपा नेताओं का कहना है कि कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल सपा के प्रस्ताव को अपने केंद्रीय नेतृत्व के सामने रखेंगे और जल्द ही इस संबंध में बातचीत की प्रक्रिया शुरू की जाएगी और सीटों के तालमेल को अंतिम रूप दिया जाएगा.

उत्तर प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी सपा मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में अपने उम्मीदवार उतार रही है. यूपी से सटे एमपी के कुछ इलाकों में एसपी का प्रभाव रहा है. सपा नेता जावेद अली खान का कहना है कि भारत गठबंधन को मजबूत करने के लिए मध्य प्रदेश में सपा और कांग्रेस के बीच सीटों का बंटवारा होना चाहिए. जावेद अली के मुताबिक, एमपी में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में एसपी का एक विधायक चुना था और पार्टी पांच विधानसभा सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी. यही वजह है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एमपी विधानसभा चुनाव में अपने प्रभाव वाली सीटों पर उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है.

इस संबंध में लखनऊ में हुई बैठक में अखिलेश यादव ने कहा था कि हमें एमपी विधानसभा चुनाव की तैयारी इस तरह करनी चाहिए कि एसपी को राष्ट्रीय स्तर का दर्जा मिले. इस बैठक के बाद ही 25 अगस्त को अखिलेश यादव ने एमपी चुनाव के लिए चार टिकटों की घोषणा की. कुछ दिनों बाद दो और उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की गई.

अगर एमपी चुनाव के लिए सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन होता है तो यह लोकसभा चुनाव के लिए दोनों पार्टियों के रिश्ते के लिए अच्छा संकेत होगा. यूपी में सपा कांग्रेस के लिए कई सीटें छोड़ने को तैयार हो सकती है. वैसे भी पिछले कई लोकसभा चुनावों में सपा ने अमेठी और रायबरेली की सीटों पर कांग्रेस के समर्थन में अपने उम्मीदवार नहीं उतारे थे.

आगामी लोकसभा चुनाव में भी सपा कांग्रेस के प्रभाव वाली कुछ सीटों पर अपने उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला कर सकती है. सपा नेताओं का कहना है कि बीजेपी को रोकने के लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव यूपी में कांग्रेस, आरएलडी और सपा से जुड़े छोटे दलों के साथ गठबंधन कर लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं. इसके लिए वह अपने साथ जुड़ी पार्टियों के लिए 20 से 25 सीटें छोड़ने को तैयार हैं.