नई दिल्ली: कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के एक साल पूरा होने के मौके पर शनिवार को जमकर निशाना साधा। पार्टी ने कहा कि पिछला एक साल देश के लिए भारी निराशा, कुप्रबंधन और असीम पीड़ा देने वाले रहा है। कांग्रेस ने सरकार के कार्यकाल को ‘बेबस लोग, बेरहम’ सरकार’ का नारा दिया और सरकार की नाकामियों की 16 सूत्री सूची जारी की।

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ केसी वेणुगोपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी हर साल 2 करोड़ नौकरियां देने का दावा करके सत्ता में आए थे, लेकिन 2017-18 में बेरोजगारी दर बढ़कर 45 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। सीएमआईई के अनुसार, कोरोनावायरस संकट के बाद, देश की बेरोजगारी दर बढ़कर 27.11 प्रतिशत पर पहुंच जाएगी।

उन्होंने कहा कि रुपया मार्गदर्शक मंडल में पहुंच गया है। पीएम मोदी ने वादा किया था कि जब वो सत्ता में आएंगे तो रुपया डॉलर के मुकाबले 40 रुपये पर जाएगा लेकिन मोदी सरकार के छह साल में भारतीय रुपया एशिया की सबसे प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बन गई है। 30 मई तक रुपया डॉलर के मुकाबले 75.57 रुपये प्रति डॉलर पर था। वेणुगापाल ने कहा कि मोदी सरकार के कार्यकाल में जीडीपी का मतलब हो गया है ‘ग्रॉसली डिक्लाईनिंग परफॉर्मेंस’ यानि ‘लगातार गिरता प्रदर्शन’। आजादी के बाद हुई सबसे कम जीडीपी दर।

उन्होंने कहा कि भारी निराशा, आपराधिक कुप्रबंधन एवं असीम पीड़ा का साल सातवें साल की शुरुआत में भारत एक ऐसे मुकाम पर आकर खड़ा है, जहां देश के नागरिक सरकार द्वारा दिए गए अनगिनत घावों और निष्ठुर असंवेदनशीलता की पीड़ा सहने को मजबूर हैं। वेणुगोपाल ने कहा कि पिछले छः सालों में देश में भटकाव की राजनीति और झूठे शोरगुल की पराकाष्ठा मोदी सरकार के कामकाज की पहचान बन गई। दुर्भाग्यवश, भटकाव के इस आडंबर ने मोदी सरकार की राजनैतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा तो किया, लेकिन देश को भारी सामाजिक और आर्थिक क्षति पहुंचाई।

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कोरोना राहत पैकेज कम होकर सिर्फ जुमला रह गया है। पीएम मोदी कोरोना राहत पैकेज के रूप में 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज को जीडीपी का 10 प्रतिशत बताया गया जबकि यह सिर्फ जीडीपी 0.83 प्रतिशत था। 60 दिन से ज्यादा समय से राहत का इंतजार कर रहे देश के लिए यह बहुत ही असंवेदनशील और निर्दयी घोषणा है।

सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार के छः साल ‘अन्नदाता’ किसान के साथ बार बार हुए छल की कहानी कहते हैं। मोदी सरकार ने ‘लागत+50 प्रतिशत मुनाफे’ के बराबर ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ देने व आय दोगुनी करने का वादा कर सत्ता हथियाई थी। मोदी सरकार ने 6 सालों में एक बार भी लागत+50 प्रतिशत मुनाफे के बराबर न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण नहीं किया। किसान का खून चूसकर हो रही ‘मुनाफाखोरी’ और खेती उत्पादों की अनाप शनाप बढ़ती कीमतों के चलते खेती आर्थिक रूप से नुकसान का सौदा बन गई है।

उन्होंने कहा कि भारत के इतिहास में पहली बार मोदी सरकार ने कृषि पर टैक्स लगाया। खाद पर 5 प्रतिशत जीएसटी, कीटनाशकों पर 18 प्रतिशत जीएसटी, ट्रैक्टर एवं सभी कृषि उपकरणों पर 12 प्रतिशत जीएसटी तथा ट्रैक्टर टायर, ट्रांसमिशन एवं अन्य पाटर््स पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगा दिया गई। मोदी सरकार के छः सालों में डीज़ल पर एक्साईज़ शुल्क 3.56 रु. प्रति लीटर से बढ़कर 31.83 रु. प्रति लीटर हो गया, यानि 800 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी। यह इसके बावजूद हुआ कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम इतिहास में सबसे निचले स्तर पर हैं।