लखनऊ :
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मुख्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता के माध्यम से कोरोना काल की त्रासदी, दुर्व्यवस्था एवं मुआवजे पर उत्तर प्रदेश कांग्रेस विधानमंडल की नेता आराधना मिश्रा ‘‘ मोना’’ ने केन्द्र सरकार से प्रश्न किये। उन्होंने कहा कि कोरोना से मरने वालों का सही आंकड़ा न बताने एवं आपदा कानून के अधिकार के तहत मुआवजा न दिये जाने के कारण कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी के नेतृत्व में ‘‘कोविड न्याय अभियान’’ चला रही है, जिसके अर्न्तगत वीडियो श्रृंखला के माध्यम से देशव्यापी आन्दोलन चलाते हुए लगातार इस मुद्दे पर सरकार से जवाब मांगा जा रहा हैं।

प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कोविड महामारी से देश के करोड़ों लोग प्रभावित हुए और लाखों को जान गंवानी पड़ी। यह मोदी सरकार की लापरवाही का नतीजा है जो उसने कोरोना काल में दिखायी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में लगभग साढ़े तीन करोड़ लोग कोविड से प्रभावित हुए हैं और 4 लाख 69 हज़ार लोग अभी तक जान गंवा चुके हैं।

आराधना मिश्रा ‘‘ मोना’’ ने कहा कि यही नहीं सरकार के हिसाब से उत्तर प्रदेश में अब तक 17 लाख से ज्यादा लोग कोविड से प्रभावित हो चुके हैं। और लगभग 23 हजार लोग अब तक जान गंवा चुके हैं। उन्होंने सरकार द्वारा दिये गये आकड़ों पर सवाल उठाया तथा उसकी विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए कहा कि यह सरकारी आंकड़े हैं। ग़ैर सरकारी अनुमानों के मुताबिक ये आंकड़े पांच गुना से भी ज्यादा हैं। कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता ने कहा कि कोविड से देश और प्रदेश की अधिकांश आबादी प्रभावित हुई। कोई ऐसा व्यक्ति नहीं मिलता जिसका प्रियजन कोविड का शिकार न हुआ हो। लोगों ने इलाज में अपनी जमा पूँजी लुटा दी। तमाम घरों में कमाने वाला न रहा। व्यवसाय भी बुरी तरह प्रभावित हुआ। आम आदमी से लेकर व्यापारी वर्ग तक कर्ज में डूब गये। ऐसे में सरकार को मदद करनी चाहिए थी, जो उसने नहीं की।

सरकारी अस्पतालों का बुरा हाल हमने देखा। लोग एक-एक आक्सीजन सिलेंडर के लिए तड़पते रहे। गंगा जीवनदायिनी कही जाती हैं, पर योगी सरकार ने उन्हें शववाहिनी बन गयीं। श्मशान में 24 घंटे लाशें जलने का दृश्य हम भूल नहीं सकते। चारों ओर हाहाकार था, लेकिन सरकार गायब थी। डबल इंजन सरकार का दावा करने वालों की सिट्टी पिट्टी गुम थी। आखिर तमाम आलोचना और दबाव के बाद कोविड से हुई मौतों पर मोदी सरकार ने 50 हजार रुपये की मदद देने की बात मानी। श्रीमती आराधना मिश्रा ने कहा कि यह मुआवज़ा बेहद कम है। सरकार पर यह आरोप लगाया कि सरकार ने कोविड से हुई मौतों का कारण रजिस्टर में अन्य कारणों से दिखाकर पीडित परिवारों को मुआवजा देने से बचने के लिए घृणित षणयंत्र किया। जिससे सरकार का अमानवीय चेहरा बेनकाब हुआ।

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की दो अधिसूचनाओं का यहां जिक्र जरूरी है। पहली अधिसूचना 14 मार्च 2020 को जारी की गई थी, जिसमें राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 (डीएमए) के तहत कोविड को एक अधिसूचित आपदा घोषित किया गया था। दूसरी अधिसूचना 8 अप्रैल 2015 को आपदा में मारे गए पीड़ितों को चार लाख रुपये तक का मुआवजा निर्धारित किया गया था। मोदी सरकार को इस सिलसिले में केन्द्रीय कानून की भी याद नहीं आयी। जिसके अर्न्तगत हर पीड़ित परिवार को चार लाख रुपये मिलना कानूनी अधिकार है।