टीम इंस्टेंटख़बर
पंजाब में कैप्टन अमरिंदर और नवजोत सिंह सिद्धू का विवाद सुलझाने के बाद अब कांग्रेस आलाकमान की नजर राजस्थान में गहलोत और पायलट विवाद पर आ गई है. राजस्थान में पिछले साल से पार्टी में गुटबाजी चल रही है. सचिन पायलट के नेतृत्व में 18 विधायकों ने बीते साल बगावत कर दी थी. फिलहाल पार्टी उन्हें मनाने में कामयाब हो गई थी. इसके बाद से पायलट खेमा राजनीति में हिस्सेदारी की मांग कर रहा है.

जानकारी मिली है कि राजस्थान में 28 जुलाई को मंत्रिमंडल का विस्तार होगा. इसीलिए सभी कांग्रेस विधायकों को जयपुर में ही रहने के लिए कहा गया है. आज इसे लेकर जयपुर कांग्रेस ऑफिस में विधायकों और प्रभारी की बैठक हुई. इस दौरान विधायकों से बातचीत में राजस्थान कांग्रेस प्रभारी अजय माकन से कहा कि आलाकमान का जो भी फैसला होगा वह सर्व सहमति से पास किया जाएगा. साथ ही 28 जुलाई को सभी विधायकों के साथ वह वन टू वन बातचीत भी करेंगे.

गहलोत मंत्रिमंडल विस्तार का मुख्य उद्देश्य सचिन पायलटऔर अशोक गहलोत के बीच की खींचतान को कम करना है. कैबिनेट विस्तार के जरिए आलाकमान दोनों गुटों के बीच की नापसंदी को दूर करना चाहता है. आज की बैठक में इसी को लेकर चर्चा की गई.

बीते दिनों सचिन पायलट ने इशारा किया था कि कांग्रेस संगठन जल्द ही राजस्थान को लेकर उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर सही कदम उठाएगी. उन्होंने कहा था कि वह इस मामले में काग्रेंस आलाकमान के साथ संपर्क में हैं. बता दें कि पायलट को पिछले साल प्रदेश के डिप्टी सीएम और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया था. यह कदम पायलट द्वारा गहलोत सरकार के खिलाफ बगावत और लगभग 1 महीने चले राजनीतिक विवाद के बाद उठाया गया था.