लखनऊ: भाकपा (माले) की राज्य इकाई ने कहा है कि मोदी सरकार का आम बजट 2021 कारपोरेट के हित में और मेहनतकशों व बेरोजगारों के साथ विश्वासघात है। संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था का बोझ जनता के कंधों पर डालकर कोरोना काल में अकूत संपत्ति इकट्ठा कर चुके कारपोरेट को अपनी संपत्ति में और इजाफा करने के पूरे प्रबंध किए गए हैं, जबकि नौकरियां खो चुके और आय व जीवनयापन के स्तर में भारी गिरावट से परेशान लोगों के लिए कोई तात्कालिक राहत नहीं दी गई है।

पार्टी के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने सोमवार को कहा कि कोविड काल के बाद आये पहले बजट में अर्थव्यवस्था में सरकारी निवेश और खर्च बढ़ाने की सख्त जरूरत है, ताकि रोजगार सृजन, लोगों की आय में बढ़ोतरी और आम आदमी की क्रय शक्ति में इजाफा हो, लेकिन यह बजट थोक के भाव में विनिवेश और निजीकरण की दिशा में केन्द्रित है।

उन्होंने कहा कि भारत के 100 सर्वाधिक धनी अरबपतियों की सम्पत्तियों में महामारी और लाॅकडाउन के दौरान भारी बढ़ोतरी हो गई (लगभग 13 लाख करोड़ रु), लेकिन बजट इस पर बिना अतिरिक्त कर लगाए इस सम्पत्ति को वैसे ही छोड़ दे रहा है।

माले नेता ने कहा कि बजट किसानों के साथ भी धोखा है, क्योंकि कृषि उपज पर एमएसपी की गारंटी की देशभर के किसानों की मांग को इसमें अनसुना किया गया है। मध्य वर्ग को जीएसटी और आय कर में राहत देने की जगह बजट में पहले की तरह ही अत्यधिक अमीरपरस्त राजस्व नीति बरकरार रखी गई है।

उन्होंने कहा कि छोटे किसान और माइक्रोफाइनांस कम्पनियों के कर्ज तले लोग परेशान हैं। पूरे देश में छोटे कर्जदारों के कर्जे माफ करने की मांग लगातार उठ रही है, लेकिन बजट में इस महत्वपूर्ण मांग को खारिज कर दिया गया है। अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने की दिशा में यह बजट पूरी तरह से विफल साबित होगी।

माले नेता ने सरकार से बजट की दिशा व प्रावधानों पर फिर से विचार करने की मांग करते हुए जनता से कंपनी राज लाने का मार्ग प्रशस्त करने वाले इस बजट के विरोध का आहवान किया।