टीम इंस्टेंटखबर
विशेषज्ञों ने एक नयी रिसर्च के आधार पर कहा कि उन वैक्सीनेटेड लोगों को बूस्टर डोज दी जा सकती है, जिनके शरीर में वैक्सीन लगाने के बाद भी एंटीबॉडी का स्तर कम ही रहता है. ऐसा इसलिए क्योंकि 20 फीसदी वैक्सीनेटेड लोगों के शरीर में कोविड-19 के खिलाफ एंटीबॉडी तैयार नहीं हो पाई है.

रिपोर्ट के मुताबिक, भुवनेश्वर में एक रिसर्च यूनिट के लगभग 23 प्रतिशत फैकल्टी सदस्यों को कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन की दो डोज लगाई गईं, हालांकि फिर भी एंटीबॉडी का लेवल नेगेटिव ही पाया गया. भुवनेश्वर स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज के निदेशक डॉ अजय परिदा ने सुझाव दिया कि कम एंटीबॉडी वाले लोगों को बूस्टर डोज दी जा सकती है. उन्होंने कहा, ‘कुछ कोविड संक्रमित लोगों में एंटीबॉडी का स्तर 30,000 से 40,000 है, यह वैक्सीन लगाने वाले लोगों की महत्वपूर्ण संख्या में 50 से नीचे है. अगर एंटीबॉडी का स्तर 60 से 100 होता है, तो हम कह सकते हैं कि व्यक्ति एंटीबॉडी पॉजिटिव है.

भुवनेश्वर स्थित इंस्टीट्यूट इंडियन SARS-CoV-2 जीनोम कंसोर्टियम (INSACOG) का एक हिस्सा है, जो देश भर में 28 प्रयोगशालाओं का एक नेटवर्क है. यह उभरते हुए वेरिएंट के लिए कोरोनो वायरस के जीनोम को सीक्वेंस करने के लिए सुसज्जित है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कई लोगों में एंटीबॉडी का स्तर (Antibody Level) चार से छह महीने के बाद कम होता देखा गया, जिन्हें वैक्सीन की दोनों डोज लगाई गई थी. अजय परिदा ने कहा कि फुल वैक्सीनेशन के बावजूद कम या नेगेटिव एंटीबॉडी वाले लोगों के लिए बूस्टर डोज (Booster Dose) की आवश्यकता होती है.