ज़ीनत सिद्दीकी

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कल रात नंदीग्राम में चुनाव अभियान के दौरान घायल हो गयीं, जंगल में आग की तरह यह खबर फ़ैल गयी, मीडिया में तरह तरह की हेडलाइनें बनने लगी| खुद ममता ने जब इसे साज़िश बताया और लोगों द्वारा धक्का देने की बात कही तो ममता पर हमले की खबर चलने लगी | ज़ाहिर है कि इस खबर से ममता विरोधी भाजपा, लेफ्ट और कांग्रेस बेचैन हो गए, उन्हें सिंगूर याद आने लगा जहाँ से ममता बनर्जी का बंगाल की राजनीति में उदय हुआ था| राजनीति की मजबूरी देखिये- कहाँ तो भाजपा और कांग्रेस-लेफ्ट एक दूसरे के कट्टर विरोधी हैं मगर ममता की चोट के कारण ये धुर विरोधी एक सुर में नज़र आने लगे और दोनों ममता की चोट को पाखंड बताने लगे|

ममता बनर्जी इस समय कोलकाता के एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती हैं। उन्होंने सीधे तौर पर हमले की साज़िश का आरोप लगाया है, उन्होंने नाम भले ही किसी पार्टी का नहीं लिया मगर उनके निशाने पर भाजपा ही है| ज़ाहिर सी बात है कि राज्य में सरकार बनाने का सपना देखने वाली भाजपा का विचलित होना लाज़मी है, कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ रही लेफ्ट को भी सिंगूर मोमेंट याद रहा होगा जब ममता बनर्जी पर कथित तौर पर हमला हुआ था, टाटा नैनो के खिलाफ ज़मीन अधिग्रहण को लेकर ममता ने ज़ोरदार आंदोलन चलाया था, जिसमें काफी हिंसा भी हुई थी| यह आंदोलन ममता के लिए बड़ा ब्रेक साबित हुआ था और लेफ्ट के ताबूत में आखरी कील|

यही कारण है कि ममता बनर्जी के हमले के दावे पर भाजपा, कांग्रेस और लेफ्ट तीनों मिलकर सवाल उठा रही हैं, दोनों गठबंधन इसे सीधे सीधे चुनावी हथकंडा और सहानुभूति पाने का जरिया मान रहे हैं| कांग्रेस ने तो सीधे सीबीआई जांच की मांग भी कर दी, वहीँ भाजपा ने भी इस मामले में कांग्रेस की हाँ में हाँ मिलाई और चोट की घटना को एक बेहतरीन स्क्रिप्ट बताया जो बहुत सोच समझकर लिखी गयी है|

बहरहाल जैसे जैसे पश्चिम बंगाल का चुनाव आगे बढ़ रहा है, इस तरह की घटनाएं भी बढ़ने लगी हैं, आगे और बढ़ेंगी इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता| ममता बनर्जी पर हमला हुआ या नहीं, यह जांच का विषय है और इलेक्शन कमीशन की हिदायत पर जांच शुरू भी हो गयी है, नतीजा क्या निकलेगा यह बाद का विषय है मगर अभी तो यही लगता है कि ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल के लोगों को जो सन्देश देना चाहती थी उसे देने में कामयाब हो गयी हैं| अब देखने वाली बात यह होगी कि ममता की यह चोट भाजपा की तरफ खिसकते वोट को कितना अपनी तरफ वापस लाने में कामयाब होती?