लखनऊ

भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह की तत्काल हो गिरफ्तारी

भाजपा को हराना हर नागरिक का राष्ट्रीय कर्तव्य
रोजगार के अधिकार पर विपक्ष बताए अपनी स्थिति
आइपीएफ की राष्ट्रीय कार्यसमिति की हुई वर्चुअल बैठक

लखनऊ

आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) की वर्चुअल बैठक में यौन शोषण व उत्पीड़न के विरुद्ध पहलवानों के आंदोलन के समर्थन में लिए गए प्रस्ताव में कहा गया कि मोदी सरकार शुरू से ही इस बेहद गंभीर मामले में बृजभूषण शरण सिंह को बचाने में लगी हुई है। सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद ही पोकसो एक्ट समेत यौन शोषण के अन्य मामलों में एफआईआर दर्ज की गई। प्रमुख समाचार पत्रों में प्रकाशित रिपोर्टों से भी बृजभूषण शरण सिंह पर लगे आरोपों की पुष्टि होती है परंतु तब भी भाजपा सरकार आरोपी सांसद को गिरफ्तार करने को तैयार नहीं है। उलटे शांतिपूर्ण आंदोलन पर बर्बर दमन ढहाया गया और भारतीय जनता पार्टी, उसकी आईटी सेल एवं आरोपी भाजपा सांसद महिला पहलवानों के चरित्र हनन में लगातार लगे हुए हैं। आईपीएफ इन शर्मनाक कृत्यों की कड़ी निंदा करते हुए बृजभूषण शरण सिंह को तत्काल गिरफ्तार करने की मांग करता है।

बैठक में यह विमर्श हुआ कि कर्नाटक चुनाव में और चुनाव के बाद जितना भी जनता के संप्रदायीकरण और विभाजन के लिए भाजपा दांव चला रही है उतना ही उसका जनता से अलगाव बढ़ता जा रहा है। पूर्वोत्तर राज्यों पर शांति और स्थिरता के जितने भी उसके दावे हैं समय-समय पर उनकी पोल खुलती रहती है। मणिपुर में चल रही जातीय हिंसा इसका ताजातरीन उदाहरण है। ज्ञातव्य है कि इसके पूर्व सीमा विवाद में मिजोरम और असम के सैनिक बलों के बीच हिंसक वारदात हो चुकी है। उड़ीसा के बालासोर में जो ट्रेन हादसा है वह बेहद चिंताजनक है। दुर्घटना में मारे गए लोगों के परिवारों के प्रति राष्ट्रीय कार्यसमिति ने अपनी संवेदना व्यक्त की है और घायल लोगों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की है। भाजपा को आगामी आम चुनाव चाहे वह राज्य के हों या केंद्र में हराना हर नागरिक का राष्ट्रीय कर्तव्य होना चाहिए। रोजगार जैसे मुद्दे पर विपक्ष की जो चुप्पी है वह अच्छी नहीं है। आईपीएफ संयुक्त युवा मोर्चा द्वारा चलाए जा रहे रोजगार अधिकार आंदोलन का समर्थन करता है और केंद्र सरकार से यह मांग करता है कि वह रोजगार के अधिकार को कानूनी दर्जा दे एवं सभी सरकारी विभागों में एक करोड़ से अधिक रिक्त पदों पर तत्काल भर्ती करे। विपक्ष और उनकी सरकारों को रोजगार के कानूनी अधिकार पर अपनी स्थिति को स्पष्ट करना चाहिए और कम से कम कर्नाटक व बिहार में रिक्त सरकारी पदों को तत्काल भरना चाहिए।

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