नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि कोविड-19 के सेकेंड वेव का इंडियन इकोनॉमी पर गंभीर असर पड़ा है, लेकिन मई के अंत से सुस्त पड़ी आर्थिक गतिविधियों में तेजी आनी शुरू हो गई है।

RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने साइबर अटैक के बढ़के खतरों को लेकर आगाह करते हुए कहा कि डेटा ब्रीच यानी डेटा में सेंधमारी और साइबर अटैक का बढ़ता रिस्क इकोनॉमी के लिए चिंताजनक है।

दास ने RBI की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के फॉरवर्ड यानी की भूमिका में लिखा कि जो इकोनॉमिक रिकवरी 2020-21 की दूसरी छमाही में शुरू हुई थी, उस पर दूसरी लहर के कारण अप्रैल-मई में काफी निगेटिव असर पड़ा है।

RBI गवर्नर ने कहा कि कोविड के सेकेंड वेव में जिस तेजी से संक्रमण का रेट बढ़ा, उसमें उतनी ही तेजी से कमी भी आई और मई के अंत और जून की शुरूआत से आर्थिक गतिविधियों में तेजी आनी शुरू हुई है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बैंकों का NPA मार्च 2021 में 6 महीने पहले जिस स्तर पर था, उसी स्तर पर रहा।

लेकिन RBI गवर्नर दास ने यह आशंका भी जताई कि बैंकों का NPA मार्च 2022 में कुल कर्ज के 9.8% तक जा सकता है। उन्होंने कहा कि सेकेंड वेव से वित्तीय संस्थानों के अकाउंटिंग पर ज्यादा असर नहीं पड़ा, जितना कि आशंका थी। उन्होंने कहा कि रेगुलेटरी स्तर पर जो राहत दिए गये है, उसका असर जब दिखने लगेगातभी इकोनॉमी की पूरी तस्वीर साफ होगी।

उन्होंने कहा कि वित्तीय संस्थानों में कैपिटल और कैश की स्थिति मजबूत बनी हुई है और भविष्य के किसी भी झटके को सहने में सक्षम है। उन्होंने कहा की फाइनेंशियल सिस्टम मजबूत है और हमारी प्राथमिकता इकोनॉमिक स्टेबिलिटी को बनाए रखने की है। उन्होंने कहा कि इकोनॉमिक रिकवरी को वैक्सीनेशन में तेजी आने से भी मजबूती मिली है।