भास्कर नेरुरकर, हेड, हेल्थ एडमिनिस्ट्रेशन टीम, बजाज आलियांज़ जनरल इंश्योरेंस

स्वास्थ्य बीमा एक अति महत्वपूर्ण फाइनेंशियल प्रोडक्ट है, क्योंकि यह आपकी शारीरिक, मानसिक और आर्थिक खुशहाली को प्रभावित करता है. कई लोग सोचते हैं कि अगर वे सेहतमंद रहें, तो उन्हें बीमा की आवश्यकता नहीं होगी. लेकिन, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बिन बताए आ सकती हैं और अपने संग भारी खर्च ला सकती हैं, भले ही अपने अपनी सेहत का कितना ही ख्याल क्यों न रखा हो. बढ़ते मेडिकल खर्चों के चलते, एक अच्छा स्वास्थ्य बीमा प्लान होना बहुत ज़रूरी बन जाता है. यह आपको बिना किसी तनाव के, अचानक आई मेडिकल एमरजेंसी से आर्थिक सुरक्षा प्रदान कर सकता है. यह आमतौर पर हॉस्पिटल में रहने के खर्च, सर्जरी और नियमित चेक-अप के खर्चों को कवर करता है, जिससे आपके लिए पैसे की चिंता किए बिना, आवश्यक चिकित्सा प्राप्त करना सुगम हो जाता है. स्वास्थ्य बीमा को बेहतर तरीके से समझकर, आप अपर्याप्त कवरेज लेने से बच सकते हैं और भविष्य में बड़े खर्चों से भी. इस तरह, आप ठीक होने पर ध्यान दे सकते हैं, क्योंकि आप जानते हैं कि अब आप और आपका परिवार स्वास्थ्य समस्याओं से आने वाले आर्थिक बोझ से सुरक्षित हैं.
स्वास्थ्य बीमा खरीदते समय लोग अक्सर ये गलतियां करते हैं:

डिडक्टिबल और को-पेमेंट की शर्तों को समझें: स्वास्थ्य बीमा प्लान चुनते समय, डिडक्टिबल और को-पेमेंट की शर्तों को समझना ज़रूरी है. डिडक्टिबल एक निश्चित राशि है जो बीमा कंपनी द्वारा भुगतान शुरू होने से पहले आपको अपफ्रंट चुकानी होती है. उदाहरण के लिए, अगर आपकी पॉलिसी में ₹15,000 का डिडक्टिबल है और आपका मेडिकल बिल ₹60,000 है, तो आप पहले ₹15,000 का भुगतान करेंगे, और फिर बीमा कंपनी बाकी के ₹45,000 को कवर करेगी. को-पेमेंट, प्रत्येक बिल राशि का निश्चित प्रतिशत है, जिसका भुगतान आप करेंगे. ज़्यादा को-पेमेंट से आपका प्रीमियम कम हो सकता है.
आशा है कि अब आप समझ गए हैं कि बीमा पॉलिसी चुनते समय आपको किन बातों पर ध्यान देना चाहिए. अच्छी तरह से रिसर्च करना, अपने प्लान को कस्टमाइज़ करना, अपने मेडिकल इतिहास का खुलासा करना, प्रतीक्षा अवधि और पॉलिसी एक्सक्लूज़न के बारे में जानना, ऐड-ऑन्स पर विचार करना और नियम व शर्तों को समझने से यह सुनिश्चित होगा कि आपके पास ज़रूरत के समय आवश्यक कवरेज होगी. इसके अलावा, डिडक्टिबल और को-पेमेंट की शर्तों को समझने से आपको अपने स्वास्थ्य बीमा के बारे में सूचित निर्णय लेने में मदद मिलेगी. इन उपायों को अपनाकर, आप आत्मविश्वास के साथ अपने स्वास्थ्य की रक्षा और भविष्य की सुरक्षा कर सकते हैं.

रिसर्च की कमी: कई लोग जल्दबाज़ी में स्वास्थ्य बीमा खरीद लेते हैं या सिर्फ दोस्तों या परिवार वालों की राय पर निर्भर करते हैं. लेकिन, किसी भी फाइनेंशियल प्रोडक्ट की खरीद की तरह, इस निर्णय को भी सावधानीपूर्वक रिसर्च करके लिया जाना चाहिए. पॉलिसी के प्रकार, बीमा प्रदाता की प्रतिष्ठा और वार्षिक लागत जैसे विभिन्न कारकों के बारे में सोचें. सही बीमा प्रदाता चुनने के लिए, देखें कि वे क्लेम का भुगतान कितनी बार करते हैं, उनके हॉस्पिटल्स का नेटवर्क कितना बड़ा है और कस्टमर रिव्यू कैसे हैं. ऐसा करके, आप एक स्मार्ट निर्णय ले सकते हैं और अपनी ज़रूरतों के अनुसार कवरेज प्राप्त कर सकते हैं.

अपनी ज़रूरतों के अनुसार स्वास्थ्य बीमा को कस्टमाइज़ न करना: आज-कल, सभी स्वास्थ्य बीमा प्लान्स एक समान नहीं होते. आप अपनी विशिष्ट ज़रूरतों के अनुसार अपने कवरेज को चुन सकते हैं और कस्टमाइज़ भी कर सकते हैं. लेकिन, कई लोग इस सुविधा का लाभ नहीं उठाते और अंत में एक स्टैंडर्ड पॉलिसी ही खरीदते हैं. आदर्श रूप से, आपको पहले अपनी आवश्यकताओं का आकलन करना चाहिए और फिर उन आवश्यकताओं को पूरा करने वाले मेडिकल इंश्योरेंस प्लान की तलाश करनी चाहिए. जब आपको क्लेम करने की आवश्यकता होगी, तो यह बहुत मददगार होगा.

मेडिकल इतिहास का खुलासा करने का महत्व: जब आप स्वास्थ्य बीमा खरीदते हैं, तो आप मेडिकल एमरजेंसी के समय अपनी आर्थिक ज़रूरतों के बारे में सोच रहे होते हैं. इसके लिए, आपके बीमा प्रदाता को आपका पूरा मेडिकल इतिहास और मौजूदा स्वास्थ्य स्थिति पता होनी चाहिए. अगर आप अपना मेडिकल इतिहास छिपाते हैं, तो किसी पहले से मौजूद बीमारी के कारण बीमार पड़ने की स्थिति में आपको कवरेज मिलने की संभावना कम हो जाती है. लेकिन, अगर आप इस जानकारी को अपने बीमा प्रदाता के साथ साझा करते हैं, तो आपको बार-बार आने वाली मेडिकल समस्याओं के लिए कवरेज मिल सकती है. इसी प्रकार, अपनी मौजूदा स्वास्थ्य स्थिति का खुलासा न करने से भविष्य के क्लेम सेटलमेंट प्रभावित हो सकते हैं.

प्रतीक्षा अवधि को समझें: जब स्वास्थ्य बीमा की बात आती है, तो एक महत्वपूर्ण पहलू जो कई लोग अनदेखा कर देते हैं, वह है प्रतीक्षा अवधि. स्वास्थ्य बीमा प्लान्स में अक्सर कुछ कवरेजों में 1-4 वर्ष की प्रतीक्षा अवधि होती है, जैसे कि डायबिटीज़, हृदय रोग या हाइपरटेंशन जैसी पहले से मौजूद बीमारियां और गर्भावस्था जैसे उपचार. प्रतीक्षा अवधि के दौरान, इन स्थितियों या उपचारों से संबंधित कोई भी क्लेम, बीमा पॉलिसी द्वारा कवर नहीं किया जाता. इसका मतलब यह है कि अगर आपको कोई पहले से मौजूद बीमारी हो और प्रतीक्षा अवधि के भीतर मेडिकल ट्रीटमेंट की आवश्यकता हो, तो आपको अपनी जेब से खर्च उठाना होगा. अगर आपकी पॉलिसी में प्रतीक्षा अवधि लंबी है, तो एमरजेंसी के दौरान पर्याप्त कवरेज सुनिश्चित करने के लिए एक अलग उपयुक्त प्लान खरीदने पर विचार करें. प्रतीक्षा अवधि को समझने और उसके अनुसार प्लानिंग करने से आपको अप्रत्याशित खर्चों से बचने में मदद मिल सकती है और आप यह सुनिश्चित कर पाते हैं कि ज़रूरत के समय आपके पास आवश्यक कवरेज होगी.

पॉलिसी एक्सक्लूज़न को समझें: स्वास्थ्य बीमा खरीदते समय, एक्सक्लूज़न की शर्तों पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है, यानि वे चीज़ें जिसे आपका बीमा प्रदाता कवर नहीं करता. ये एक्सक्लूज़न पॉलिसी में स्पष्ट रूप से लिखे होते हैं, जिससे आपको सूचित निर्णय लेने की सुविधा मिलती है. लेकिन, कई लोग केवल कवरेज पर ध्यान देते हैं और एक्सक्लूज़न को नहीं देखते. इस विषय में जागरूकता न रखने से क्लेम अस्वीकार हो सकते हैं और ज़रूरत के समय आपके हाथ निराशा आ सकती है.

ऐड-ऑन्स न चुनना: एक मानक स्वास्थ्य बीमा प्लान कुछ स्थितियों को कवर नहीं कर सकता, जिसके चलते सभी उपलब्ध विकल्पों की जांच करना आवश्यक हो जाता है. इंश्योरेंस ऐड-ऑन्स अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करके आपके कुल स्वास्थ्य बीमा कवरेज को बढ़ा सकते हैं. अपनी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के साथ ऑफर किए जाने वाले ऐड-ऑन कवर्स को जानें और देखें कि अगले वर्ष के लिए आपके, आपके परिवार या आपके प्लान्स के अनुसार कोई विकल्प मददगार होगा या नहीं. कुछ सामान्य ऐड-ऑन्स में शामिल हैं क्रिटिकल इलनेस इंश्योरेंस, मैटरनिटी और हॉस्पिटल के दैनिक खर्च और एमरजेंसी एम्बुलेंस सेवा.

नियम व शर्तों को समझें: स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी में पॉलिसीधारकों पर लागू नियम और शर्तों की सूची होती है. अगर आप उनसे परिचित नहीं हैं, तो ये शर्तें पॉलिसी को जटिल बना सकती हैं. हमेशा समय निकालकर अपने पॉलिसी डॉक्यूमेंट को विस्तार से पढ़ें और समझें. अगर आप डिजिटल रूप से स्वास्थ्य बीमा खरीदते हैं, तो नियम और शर्तें अक्सर बीमा कंपनी की वेबसाइट पर उपलब्ध होते हैं, जिससे आपके लिए इस जानकारी को एक्सेस करना आसान हो जाता है.