बायोफार्मास्‍यूटिकल कंपनी, एस्‍ट्राजेनेका इंडिया (AstraZeneca Pharma India Limited) को हार्ट फेल्‍योर वाले मरीजों के इलाज के लिए सरकार की ओर Dapagliflozin (Forxiga) के लिए आज मंजूरी मिल गयी। यह हार्ट फेल्‍योर (HF) के उपचार के लिए स्‍वीकृत पहली एंटीडायबिटिक दवा है।

यह कार्डियोवैस्‍क्‍यूलर (Cardiovascular) मृत्‍यु और हॉस्पिटलाइजेशन के जोखिम को कम करने हेतु पहली प्रामाणिक दवा है। डीएपीए-एचएफ (DAPA-HF) अध्‍ययन के परिणामों के आधार पर यह स्‍वीकृति मिली। डीएपीए-एचएफ अध्‍ययन से साबित हुआ कि उपचार के मानक के अलावा, फॉर्क्सिगा के प्रयोग से कार्डियोवैस्‍क्‍यूलर मृत्‍यु या हार्ट फेल्‍योर की स्थिति बिगड़ने के खतरे में 26 प्रतिशत कमी आई।

अध्‍ययन में शामिल लगभग एक-चौथाई मरीज भारत सहित एशियाई क्षेत्र के थे। हार्ट फेल्‍योर, एक जानलेवा बीमारी है जिसमें हृदय की मांसपेशी पर्याप्‍त मात्र में रक्‍त को शरीर के विभिन्‍न भागों में नहीं पहुंचा पाती और इससे शरीर में रक्‍त व ऑक्‍सीजन की कमी पूरी नहीं हो पाती। इससे दुनिया भर में लगभग 6.4 करोड़ लोग प्रभावित हैं (जिनमें से कम से कम आधे का इजेक्‍शन फ्रैक्‍शन घट गया है), जिसमें भारत के कम से कम 8 से 10 मिलियन रोगी शामिल हैं। यह एक क्रोनिक, डीजेनरेटिव बीमारी है, जिससे पीडि़त आधे मरीज रोग की पहचान होने के पांच वर्षों के भीतर ही मर जाते हैं। हार्ट फेल्‍योर उतनी ही घातक बीमारी है जितनी कि पुरुषों (प्रोस्‍टेट व ब्‍लाडर कैंसर) और महिलाओं (स्‍तन कैंसर) दोनों में कुछ सबसे सामान्‍य तरह के कैंसर। यह 65 वर्ष से अधिक उम्र वालों को अस्‍पताल में भर्ती कराये जाने का प्रमुख कारण है और यह चिकित्‍सकीय व आर्थिक दृष्टि से एक बड़ा तनाव है।

भारतीयों में हार्ट फेल्‍योर की औसत आयु 61.2 वर्ष है, जो कि पाश्‍चात्‍य देशों के लोगों की तुलना में कम से कम 10 वर्ष कम है। एस्‍ट्राजेनेका फार्मा इंडिया लिमिटेड के प्रबंध निदेशक, गगनदीप सिंह ने बताया, ”हार्ट फेल्‍योर एक गंभीर स्वास्थ्य समस्‍या है, जिससे दुनिया भर के लगभग 6.4 करोड़ लोग प्रभावित हैं और भारत में इससे कम-से-कम 8-10 मिलियन लोग प्रभावित हैं। भारत की त्‍वरित विनियामक स्‍वीकृति से मरीजों का अत्‍यावश्‍यक उपचार संभव हो सकेगा, जिससे उनकी बीमारी का बोझ कम होगा और वो अधिक लंबे समय तक जी सकेंगे।”