एप्पल पर 11.3 करोड़ डॉलर (838.95 करोड़ रुपये) का जुर्माना लगाया गया है. यह जुर्माना 33 अमेरिकी स्टेट्स और कोलंबिया जिले के लगाए आरोपों पर है. कंपनी पर आरोप है कि उसने बैटरी से जुड़े मुद्दों को छिपाने के लिए पुराने आईफोन्स को स्लोडाउन किया जिससे यूजर्स नए डिवाइसेज खरीदें. राज्य के अधिकारियों ने यह जानकारी दी. एप्पल ने 2016 में शांति के साथ iPhone 6, 7 और SE के मॉडल को अपडेट किया जिससे चिप की स्पीड दब जाए और डिवाइस की बैटरी फोन के प्रोसेसर को पावर में बढ़ोतरी नहीं भेजें और फोन अचानक से बंद नहीं हो.

स्टेट्स ने तर्क दिया कि एप्पल ने धोखे के साथ काम किया और उसे बैटरी को बदल देना या मामले का खुलासा करना चाहिए था. Arizona कोर्ट में फाइलिंग के मुताबिक, लाखों यूजर्स पावर शटऑफ से प्रभावित हुए. Arizona की अटॉर्नी जनरल Mark Brnovich ने एक इंटरव्यू में कहा कि उनके सहकर्मी और वे खुद इन बड़ी टेक कंपनियों का ध्यान लेना चाहते हैं और उन्हें उम्मीद है कि मिलियन डॉलर का यह फैसला उनका ध्यान आकर्षित करेगा. उन्होंने आगे कहा कि कंपनियां धोखेबाज नहीं हो सकती और चीजों को छिपा नहीं सकती हैं.

एप्पल ने किसी गलत काम से इनकार किया और इस सेटलमेंट पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. एप्पल ने अगले तीन सालों के लिए उसकी वेबसाइट पर आईफोन पावर मैनेजमेंट, सॉफ्टवेयर अपडेट नोट्स और आईफोन सेटिंग्स को लेकर सही जानकारी उपलब्ध कराने पर सहमति दिखाई है. Arizona ने कहा कि एप्पल के वर्तमान विकल्प पर्याप्त हैं. स्टेट्स के साथ सेटेलमेंट को अभी कोर्ट की मंजूरी मिलनी बाकी है.