हीरे और रत्नों के प्रमाणीकरण के क्षेत्र में वैश्विक संस्था, इंटरनेशनल जेमोलॉजिकल इंस्टीट्यूट ने अनुप व्रजलाल मेहता को आईजीआई बोर्ड का अध्यक्ष एवं स्वतंत्र निदेशक नियुक्त करने की घोषणा की है, यह नियुक्ति 6 जून 2025 से प्रभावी मानी जाएगी, जो शेयरधारकों की मंज़ूरी के अधीन है।
हीरा उद्योग के एक दूरदर्शी और प्रभावशाली हस्ती, श्री मेहता पिछले पाँच दशकों से अधिक समय से भारतीय और वैश्विक रत्न व आभूषण उद्योग को दिशा दे रहे हैं। वर्तमान में वे मोहित डायमंड्स प्राइवेट लिमिटेड के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं, साथ ही भारत डायमंड बोर्स के अध्यक्ष पद पर भी कार्यरत हैं। इसके अलावा, वे वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ डायमंड बोर्स और जेम एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल जैसी प्रमुख संस्थाओं में भी सक्रिय रूप से अपनी भूमिका निभा रहे हैं।

उनकी नियुक्ति IGI की यात्रा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जो रत्न और आभूषण उद्योग में उत्कृष्टता, पारदर्शिता और सतत विकास के प्रति संस्था की मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

इस विकास पर टिप्पणी करते हुए, IGI के वैश्विक CEO, श्री तहमास्प प्रिंटर ने कहा, “हमें श्री अनूप मेहता का IGI के बोर्ड में स्वागत करते हुए गर्व हो रहा है। हीरा उद्योग के एक सच्चे दिग्गज, श्री मेहता गहन ज्ञान, गहरी समझ और दूरदर्शिता के साथ हमारे साथ जुड़ रहे हैं। वैश्विक हीरा उद्योग में उनका व्यापक अनुभव IGI की दिशा तय करने और रत्न विज्ञान में विशेषज्ञता व ईमानदारी के साथ नेतृत्व करने के हमारे मिशन को आगे बढ़ाने में बेहद अहम भूमिका निभाएगा।”

श्री प्रिंटर ने आगे कहा, “यह नियुक्ति IGI के सुशासन को मजबूत करने, हितधारकों को अधिक मूल्य प्रदान करने और भारत समेत वैश्विक स्तर पर हीरे और आभूषण क्षेत्र के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने को रेखांकित करता है।”

अपनी नई भूमिका पर टिप्पणी करते हुए श्री मेहता ने कहा, “IGI लंबे समय से रत्न प्रमाणन के क्षेत्र में विश्वास और विशेषज्ञता का प्रतीक रहा है। मैं इसकी उत्कृष्टता की परंपरा को आगे बढ़ाने और और इसकी विकास यात्रा में योगदान देने के लिए उत्साहित हूं, विशेषकर ऐसे समय में जब उपभोक्ताओं का भरोसा और उत्पाद की प्रामाणिकता सबसे अधिक महत्वपूर्ण हो गए हैं।”

श्री मेहता ने भारत डायमंड बोर्स की अवधारणा से लेकर उसके कार्यान्वयन तक एक अहम भूमिका निभाई हैं, उनके नेतृत्व में इसका उद्घाटन 2010 में हुआ था, जिसने तब से भारत को वैश्विक हीरा व्यापार के मानचित्र पर एक प्रमुख स्थान दिलाया है।