● आंगनबाड़ी कर्मचारी यूनियन ने सीएम के नाम ज्ञापन एडीएम को सौंपा
● श्रम बंधु की बैठक में आंगनबाड़ी के सवाल उठे

लखनऊ:
सुप्रीम कोर्ट द्वारा गुजरात की आंगनबाड़ियों को ग्रेच्युटी का लाभ देने के बाद उत्तर प्रदेश में भी आंगनबाड़ियों को ग्रेच्युटी देने का सवाल तेजी से उठ रहा है। इस संबंध में आज जिलाधिकारी कार्यालय में हुई श्रम बंधु की बैठक में आंगनबाड़ी कर्मचारी यूनियन की प्रदेश कोषाध्यक्ष बबीता ने मांग उठाई और मुख्यमंत्री के नाम संबोधित ज्ञापन अपर जिलाधिकारी को दिया गया। ज्ञापन में कहा गया कि उत्तर प्रदेश में 62 साल में आंगनबाड़ियों को रिटायर कर दिया जा रहा है। लेकिन न तो उन्हें ग्रेच्युटी दी जा रही है और ना ही पेंशन जैसी बुनियादी सुविधा ही प्रदान की जा रही है। भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने अपने संकल्प पत्र में आंगनबाड़ियों के सम्मानजनक मानदेय देने की बात की थी लेकिन सरकार बनने के बाद इसे भुला दिया गया। आज आंगनबाड़ियों को प्रदेश में न्यूनतम मजदूरी से भी कम मानदेय दिया जा रहा है जिससे इस भीषण महंगाई में अपने परिवार का भरण पोषण करना उनके लिए बेहद कठिन होता जा रहा है। प्राथमिक शिक्षा केंद्र और शिशुपालना गृह के रूप में विकसित करने की जगह सरकार इसे खत्म करने पर आमादा है। माननीय मुख्यमंत्री जी ने खुद कोरोना काल में आंगनबाड़ियों के योगदान की सराहना लगातार की है लेकिन सुविधाओं के नाम पर कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है। आंगनबाड़ी केंद्रों का किराया भारत सरकार द्वारा तय किराए की तुलना में बेहद कम है और उसमें भी बहुत सारी जगहों पर किराए का भुगतान नहीं हुआ है। इसलिए इन सवालों पर उत्तर प्रदेश शासन को पहल करनी चाहिए और इन्हें हल करके आंगनबाड़ियों के संविधान द्वारा प्रदत्त गरिमा पूर्ण जीवन की गारंटी करनी चाहिए।।