राजनीति

सपा शासन से कम नहीं योगी राज में अराजकता: मायावती

ब्यूरो चीफ़
लखनऊ: बी.एस.पी. की राष्ट्रीय अध्यक्ष, पूर्व मुख्यमंत्री मायावती (Mayawati) ने आज योगी सरकार पर बड़ा हमला करते हुए कहा कि सपा शासनकाल की तरह भाजपा शासनकाल में भी अराजकता का माहौल है. मायावती ने कहा कि उत्तर प्रदेश में जिस प्रकार से हर प्रकार का अपराध बढ़कर यहाँ पूरी तरह से जंगलराज की अराजकता चल रही है वह किसी से भी छिपा नहीं है, पहले जिला पंचायत अध्यक्ष और फिर ब्लाक प्रमुखों के अप्रत्यक्ष चुनाव में सपा की तरह ही भाजपा ने भी धनबल, बाहुबल व सत्ता के घोर दुरुपयोग सहित अन्य अनेकों हथकण्डे अपनाकर अधिकतर सीटें जीतने का दावा किया है, जो जनता की बेचैनी बढ़ाने तथा एक बार फिर यहाँ लोकतंत्र की सही स्थापना के बजाय जनतंत्र को शर्मसार करने वाला है, यह अति-दुःखद, दुर्भाग्यपूर्ण, निन्दनीय व सभी के लिए अति-चिन्ताजनक भी है।

बसपा सुप्रीमो ने कहा कि पूर्व में चाहे कांग्रेस पार्टी की सरकार रही हो अथवा सपा की तथा अब वर्तमान में भाजपा की सरकार हो इनकी लोकतंत्र-विरोधी सोच, जनविरोधी रवैयों व कार्यकलापों आदि के अनुभवों के आधार पर लोगों में यह धारणा प्रबल है कि इन विरोधी पार्टियों के राज में जनहित व जनकल्याण की तरह स्वंय जनता के सम्मान व स्वाभिमान का न तो कोई मान-महत्त्व है और ना ही इनकी सरकारों को मानवीय व लोकतांत्रिक मूल्यों-मर्यादाओं आदि की कोई परवाह है तो फिर ऐसे में कानून का सम्मान व कानून के राज की स्थापना का सवाल ही कहाँ पैदा होता है?

मायावती ने कहा कि वैसे तो यूपी में पिछले कई वर्षों के दौरान कानून-व्यवस्था (law and order) की साल में पूरे 365 दिन स्थिति खराब ही रही है तथा गरीबों, मजदूरों, किसानों, असंगठित श्रमिकों, छोटे व मझोले व्यापारियों आदि के साथ-साथ समाज के कमजोर व उपेक्षित तबकों में ख़ासकर दलितों, अन्य पिछड़ों व मुस्लिम समाज के लोगों पर द्वेषपूर्ण कार्रवाई व हर प्रकार की जुल्म-ज्यादती तथा अन्याय-अत्याचार आदि आम बात हो गई है, इसलिए पंचायत चुनाव के दौरान भी दबंगई, अपहरण, अराजकता का माहौल आदि स्वाभाविक ही था और इसीलिए सरकार की नीति व नीयत को भाँपकर ही बी.एस.पी. ने पहले जिला पंचायत अध्यक्ष और फिर व ब्लाक प्रमुखों के अप्रत्यक्ष चुनाव को नहीं लड़ने का ही फैसला उचित समझा, जो बाद के चुनावी घटनाक्रमों के मद्देनजर बिल्कुल सही फैसला साबित हुआ है, हालाँकि पंचायत के आमचुनाव में, जिसमें जनता द्वारा सीधे मतदान करने का प्रावधान है, बी.एस.पी. का प्रदर्शन काफी अच्छा होकर विरोधियों को काफी चौकाने व बौखलाने वाला रहा था।

गठबंधन पर बोलते हुए मायावती ने कहा कि इन मामलों में बी.एस.पी. का अनुभव हमेशा ही काफी कड़वा रहा है। इस सम्बंध में कौन भूल सकता है कि सन् 1993 में सपा के साथ गठबन्धन (coalition) की सरकार बनाने के बावजूद जब बी.एस.पी. के कार्यकर्ताओं के साथ हिंसक बर्ताव करते हुये उनका अपहरण आदि करके उन्हें नामांकन भरने तक से भी रोका गया और अन्ततः एक चर्चित मामले में महिला कार्यकर्ता का फैजाबाद में अपहरण कर लेने के फलस्वरुप जब अति हो गई तो अन्य कारणों के साथ-साथ इसके विरोध में भी बी.एस.पी. नेे जून 1995 में सपा से गठबन्धन तोड़ना ही बेहतर समझा और अपना समर्थन वापस ले लिया जिस कारण तब की सपा सरकार सत्ता से बाहर हो गई थी।

मायावती ने कहा कि तब उस समय सन् 1995 में सपा सरकार के कार्यकलापों से सभी विरोधी पार्टियाँ उसी प्रकार से दुःखी व पीड़ित थीं, जिस प्रकार से आज भाजपा सरकार की जनविरोधी नीतियों व लोकतन्त्र-विरोधी कार्योंं से आज सभी लोग काफी दुःखी व त्रस्त हैं, किन्तु कोई उचित रास्ता नही पाने के कारण अब आगामी विधानसभा आमचुनाव की राह बड़ी बेचैनी से देख रही हैं। उत्तर प्रदेश की जनता ने भाजपा को भी अब पूरी तरह से आज़मा कर देख लिया है, लेकिन इनके दुःख-दर्द का निवारण होने के बजाय भाजपा सरकार की संकीर्ण सोच, गलत नीतियों व द्वेषपूर्ण कार्यकलापों आदि के कारण इनकी दिन-प्रतिदिन की तकलीफें लगातार बढ़ती ही जा रही हैं और अब तो गरीबी व बेरोजगारी के कारण इनका जीना भी मुश्किल होता चला जा रहा है किन्तु सरकार अप्रत्यक्ष चुनाव में ’जीत’ का जश्न मनाने में व्यस्त है, जो लोगों के जख्म पर एक बार फिर नमक छिड़कने जैसा नहीं है तो फिर और क्या है?

मायावती ने कहा कि लोगों को यह सब स्मरण रखते हुए ही आगे की तैयारी करनी है वरना आपके वोट की कीमत घटकर शून्य रह जाएगी, जो देश के मानवतावादी संविधान व इसके लोकतान्त्रिक मूल को किसी आघात से कम नहीं होगा। अब चुनाव के समय में लुभावने वादों, धार्मिक भावनाओं व शिलान्यास आदि के बहकावे में नहीं आना है अर्थात् अपने परिवार, समाज व प्रदेश के व्यापक हित में ही सही फैसला लेना है।

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