यूपी को आर्थिक पावरहाउस बनाने में एल्कॉहलिक बेवरेज सेक्टर महत्वपूर्ण पार्टनर
ISWAI ने उत्तर प्रदेश के एल्कोबेव उद्योग पर जारी की पहली व्यापक रिपोर्ट
तौक़ीर सिद्दीक़ी
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के इंदिरागांधी प्रतिष्ठान के मरकरी हाल में 9 जुलाई को भारतीय प्रीमियम एल्कॉहलिक बेवरेज उद्योग की आधिकारिक पहचान इंटरनेशनल स्पिरिट्स एण्ड वाईन्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ISWAI ने प्रदेश के एल्कोबेव उद्योग पर एक व्यापक रिपोर्ट को पेश किया। यह रिपोर्ट प्रदेश में एल्कोबेव उद्योग की क्षमता तथा आर्थिक योगदान पर रोशनी डालती है साथ ही में नौकरियों के सृजन, राजस्व, पर्यटन और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में इस उद्योग की भूमिका को भी दर्शाती है।
रिपोर्ट के लॉन्च के अवसर पर नितिन अग्रवाल, राज्य मंत्री, एक्साइज़, उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि प्रदेश सरकार आर्थिक विकास एवं सार्वजनिक कलयाण को सुनिश्चित करने के लिए प्रगतिशील एवं पारदर्शी एक्साइज़ प्रणाली के निर्माण की दिशा में प्रतिबद्ध है। ISWAI यूपी इकोनोमिक रिपोर्ट 2025 नौकरियांं के सृजन से लेकर गांवों की प्रगति एवं पर्यटन के विकास तक इस उद्योग के बहु-आयामी योगदान को दर्शाती है। इस रिपोर्ट के अनुसार यूपी के एल्कॉहलिक बेवरेज उद्योग ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान मार्केट रेवेन्यु में 56,000 करोड़ रूपये का योगदान दिया, जो राज्य के जीडीपी का 2.4 परसेंट है। कृषि, निर्माण, पैकेजिंग, हॉस्पिटैलिटी , लॉजिस्टिस और रीटेल से जुड़ा होने के कारण यह उद्योग 5 लाख से ज़्यादा लोगों को आजीविका के अवसर प्रदान करता है।
ISWAI के मुताबिक यह उद्योग राज्य को एक ट्रिलियन डॉलर की इकोनोमी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश एक आर्थिक पावरहाउस के रूप में बदल रहा है और एल्कॉहलिक बेवरेज सेक्टर इस यात्रा में महत्वपूर्ण पार्टनर है। अनुकूल नीतियों एवं प्रशासन के द्वारा प्रदेश प्रीमियम बेवरेज मैनुफैक्चरिंग एवं टूरिज़्म का हब बन सकता है।’ रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश ने 2028 तक 1 ट्रिलियन डॉलर की इकोनोमी बनने का लक्ष्य रखा है। ऐसे में ISWAI की यह रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि किस तरह एल्कॉहलिक बेवरेज उद्योग दीर्घकालिक और स्थायी आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में मुख्य भूमिका निभा सकता है।
बता दें कि ISWAI यूपी इकोनोमिक रिपोर्ट 2025 उत्तर प्रदेश के एल्कोबेव उद्योग का पहला व्यापक अध्ययन है, जिसे एल्कोबेव कंपनियों, उद्योग जगत के विशेषज्ञों और IWSR जैसे विश्वस्तरीय स्रोतों के सहयोग से विकसित किया गया है। इस अवसर पर ISWAI के रीजनल डायरेक्टर परविंदर सिंह ने बताया कि अलकोहल सेक्टर रोज़गार पैदा करने के लिए, किसानों की आय बढ़ने के लिए और टूरिज़्म सेक्टर के लिए बड़ा पॉजिटिवली कंट्रीब्यूट कर रहा है, इस रिपोर्ट में इसी को आधार बनाकर भविष्य की नीतियों की चर्चा की जायेगी।
रिपोर्ट के मुख्य बिन्दु इस तरह हैं :–
1– यूपी में होने वाले टैक्स कलेक्शन का 25 फीसदी हिस्सा एल्कॉहलिक बेवरेजेज़ से आता है।
2 –एल्कॉहल परोसने वाले लाइसेंसी एफ एंड बी संस्थानों की 14-19 फीसदी कमाई एल्कॉहल की बिक्री से होती है और ये 50,000 से अधिक लोगों को रोज़गार देते हैं।
3 –राज्य के 27,308 लिकर रीटेल आउटलेट 1.3 लाख लोगों को नौकरियां देते हैं।
4 –बेवरेज प्रोडक्शन के लिए अनाज और गन्ने की खरीद के कारण 3.4 लाख से अधिक किसानों को सीधा फायदा मिलता है।
5 –यह उद्योग फिरोज़ाबाद की ग्लास इकोनोमी में ज़बरदस्त योगदान देता है, शहर में कंटेनर ग्लास आउटपुट के 80 फीसदी हिस्से की खपत बेवरेज सेक्टर में होती है।
6 –यूपी की एक्साइज़ पॉलिसी 2025-26 पर्यटन विभाग के साथ साझेदारी में वाइनरी और माइक्रो-ब्रेवरीज़ की स्थापना द्वारा एल्कॉहल-टूरिज़्म को बढ़ावा देती है।
7 –इंडियन मेड फॉरेन लिकर (आईएमएफएल) सेगमेन्ट ने वॉल्युम में सालाना 10 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की है, जो प्रीमियमीकरण की ओर उपभोक्ताओं के बढ़ते रूझानों को दर्शाती है।










