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मोबाइल मुद्दे पर अखिलेश ने मारी बाज़ी

ज़ीनत क़िदवाई

ज़ीनत क़िदवाई

योगी सरकार क्या विपक्ष के दबाव में आ गयी है? क्योंकि जो सरकार कुछ समय पूर्व अपनी पूरी हठधर्मिता से अपने फैसलों पर अडिग रहती थी और विपक्ष की हर सलाह को रद्दी की टोकरी में फेंक देती थी वह मोबाइल प्रतिबन्ध के फैसले पर इतनी तेज़ी से पीछे हट गयी| प्रवासी मज़दूर भूखे प्यासे पैदल चलने को मजबूर थे, दुर्घटनाओं में असमय मौत की गोद में समा रहे थे | उनके बारे में विपक्ष जब कुछ बोलता था तो योगी जी और उनके मंत्री उसे उसका इतिहास बताते थे| कोरोना काल में विपक्ष की मदद की हर पेशकश को योगी जी ने अनुमति न देकर साबित किया कि यह प्रदेश उनका है और यहाँ के वह राजा हैं| उन्होंने फैसला कर लिया कि कांग्रेस की बसें नहीं चलेंगी तो नहीं चलने दीं|

यूपी में जब कोरोना शुरू हुआ तो सरकार की ओर से आगरा मॉडल को खूब बढचढ़ाकर पेश किया गया मगर संक्रमितों की संख्या बढ़ती रही| विपक्ष आगरा मॉडल का विरोध करता रहा परन्तु योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष की एक न सुनी| आखिरकार आगरा में कोरोना का विस्फोट होने पर उस मॉडल को बदला गया लेकिन यह योगी जी की इच्छा पर हुआ न कि विपक्ष के दबाव में| बीते शनिवार की शाम को उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य महनिदेशक की ओर जारी किये गए आदेश में यह कहा गया कि प्रदेश में कोविड समर्पित L 2 और L 3 अस्पतालों में भर्ती मरीज़ों को आइसोलेशन वार्ड में मोबाइल ले जाने की अनुमति नहीं है| इस आदेश के पारित होते ही सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ट्वीट के ज़रिये योगी सरकार पर हमला बोला और कहा कि अगर मोबाइल से संक्रमण फैलता है तो आइसोलेशन वार्ड ही क्यों पूरे देश में मोबाइल पर प्रतिबन्ध लगा देना चाहिये, एक मोबाइल ही तो है जो आज के दौर में अकेले में लोगों का मानसिक सहारा बनता है| वस्तुतः अस्पतालों की दुर्व्यवस्था व दुर्दशा का सच जनता तक न पहुँच सके इसलिए यह पाबन्दी लगाईं गई| जबकि ज़रुरत मोबाइल पर पाबन्दी की नहीं सैनिटाइज़ेशन की है|

अखिलेश के ट्वीट करते ही योगी सरकार तुरंत हरकत में आयी और आदेश पर यू टर्न मारते हुए फैसले को वापस ले लिया| सवाल यह उठता है कि क्या वास्तव में इस तुग़लकी फरमान की ज़रुरत थी और अगर थी तो फैसला वापस क्यों हुआ? क्या सरकार कोई भी आदेश पारित करने से पहले विचार नहीं करती या चाटुकार ब्यूरोक्रेसी के कारण ऐसे फरमान जारी होते हैं| या कहीं ऐसा तो नहीं कि प्रवासी मज़दूरों की समस्याओं का सही तरीके से निवारण न कर पाने पर विपक्ष के हमलों से घिरी योगी सरकार इस आदेश को वापस लेने पर मजबूर हुई है | कुछ भी हो, पहले बसों के मुद्दे पर प्रियंका गाँधी ने स्कोर किया और अब मोबाइल मुद्दे पर अखिलेश ने बाज़ी मार ली|

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Tags: ZEENAT SHAMS

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