नई दिल्ली: कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है। इस बीच रायपुर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के चिकित्सकों के एक समूह ने कोरोना महामारी के बीच स्वास्थ्य संस्थानों में मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर पाबंदी की अनुशंसा की है। चिकित्सकों ने चेतावनी दी कि ऐसे उपकरण वायरस के वाहक हो सकते हैं और स्वास्थ्यकर्मियों को संक्रमित कर सकते हैं।

बीएमजे ग्लोबल हेल्थ जर्नल में प्रकाशित एक लेख में डॉक्टरों ने कहा कि मोबाइल फोन की सतह एक विशिष्ट उच्च जोखिम वाली सतह होती है, जो सीधे चेहरे या मुंह के संपर्क में आती है। भले ही हाथ अच्छे से धुले हुए क्यों न हों। इसलिए इस महामारी में अस्पतालों में मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाई जानी चाहिए।

एक अध्ययन के मुताबिक कुछ स्वास्थ्यकर्मी हर 15 मिनट से दो घंटे के बीच अपने फोन का इस्तेमाल करते हैं। मोबाइल को धोया नहीं जा सकता, इसलिए इसके संक्रमित होने का खतरा ज्यादा होता है। मोबाइल फोन की वजह से हाथों के साफ होने के भी बहुत मायने नहीं रह जाते। इस बात के प्रमाण बढ़ रहे हैं कि मोबाइल रोगजनक विषाणुओं के लिए संभावित वाहक हैं।

10 फीसदी भी हमेशा सफाई नहीं करते: भारत में हुए एक अध्ययन में पाया गया कि उच्च विशिष्टता वाले अस्पतालों में लगभग 100 फीसद स्वास्थ्यकर्मी अस्पताल में मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन उनमें से 10 फीसद ही कभी अपने मोबाइल को साफ करते हैं। सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के मुताबिक मोबाइल फोन, काउंटर, टेबल के ऊपरी हिस्से, दरवाजों की कुंडियां, शौचालय के नल, की-बोर्ड, टेबलेट्स आदि के साथ सबसे ज्यादा स्पर्श की जाने वाली सतहों में से एक हैं। इनसे संक्रामक एक से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैल सकता है।

हेडफोन के इस्तेमाल की सलाह: चिकित्सकों के समूह ने आईसीयू और ऑपरेशन थियेटर जैसी जगहों पर मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के साथ ही बात करते वक्त इसके चेहरे पर सीधे स्पर्श से बचने के लिये हेडफोन के इस्तेमाल की सलाह दी है। उनका कहना है कि मोबाइल फोन, हेडफोन या हेडसेट्स को किसी के साथ साझा न करें। जहां संभव हो वहां इंटरकॉम सुविधा के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाए।