कारोबार

शेयरों के औंधे मुंह गिरावट से डरे अडानी, FPO को लिया वापस, लौटाएंगे पैसा

अडानी एंटरप्राइजेज ने 1 फरवरी को कहा कि उसने अपने फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफरिंग (एफपीओ) को रद्द कर दिया है. कंपनी ने यह फैसला अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च की उस रिपोर्ट के बाद लिया है जिसमें कंपनी पर टैक्स हेवन का इस्तेमाल करने का आरोप कर्ज की चिंताओं का ज़िक्र किया गया. अडानी ग्रुप द्वारा NSE के भेजे गए इस फैसले की जानकारी में बताया गया है कि अडानी इंटरप्राइजेज के FPO में निवेश करने वाले निवेशकों को पैसा वापस किया जायेगा। बता दें कि अडानी FPO का ओवर सब्सक्राइब हुआ था लेकिन आज शेयर बाजार में यह शेयर 28 प्रतिशत से ज़्यादा गिर गया जिससे अडानी ग्रुप पूरी तरह हिल गया और इतना बड़ा फैसला लिया।

बता दें कि हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में जिस तरह से गिरावट दर्ज की जा रही थी उसके देखते हुए ऐसा लग रहा था की अडानी इंटरप्राइजेज का FPO शायद वापस ले लिया जाय क्योंकि FPO के प्राइस बैंड से शेयर खुले मार्किट में काफी कम भाव पर मिल रहा था लेकिन अडानी ग्रुप ने बयान जारी कर कहा था कि FPO वापस नहीं लिया जायेगा और न ही इसमें किसी तरह का बदलाव किया जायेगा। लेकिन FPO सब्सक्रिप्शन के दुसरे दिन ही अडानी इंटरप्राइजेज शेयर की शेयर बाजार में जिस तरह पिटाई हुई और साथ में कंपनी की बाकी सभी कंपनियों के शेयरों में जो तेज़ गिरावट हुई उसने बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर को बैकफुट पर जाने के लिए मजबूर कर दिया।

अडानी ने एक प्रेस बयान में कहा, अदानी एंटरप्राइजेज के चेयरमैन गौतम अदानी ने कहा कि दिन के कारोबार के दौरान समूह के शेयरों में उतार-चढ़ाव के बीच यह निर्णय लिया गया। “बोर्ड इस अवसर पर हमारे एफपीओ के लिए आपके समर्थन और प्रतिबद्धता के लिए सभी निवेशकों को धन्यवाद देता है। एफपीओ के लिए सदस्यता कल सफलतापूर्वक बंद हो गई। पिछले सप्ताह के दौरान स्टॉक में अस्थिरता के बावजूद, कंपनी, इसके व्यवसाय और इसके प्रबंधन में आपका विश्वास और विश्वास बेहद आश्वस्त और विनम्र रहा है। धन्यवाद,”

प्रेस बयान में उन्होंने आगे कहा: “हालांकि, आज बाजार अभूतपूर्व रहा है, और दिन के दौरान हमारे शेयर की कीमत में उतार-चढ़ाव आया है। इन असाधारण परिस्थितियों को देखते हुए, कंपनी के बोर्ड ने महसूस किया कि इस मुद्दे के साथ आगे बढ़ना नैतिक रूप से सही नहीं होगा। निवेशक केहित सर्वोपरि हैं और इसलिए उन्हें किसी भी संभावित वित्तीय नुकसान से बचाने के लिए, बोर्ड ने एफपीओ के साथ आगे नहीं बढ़ने का फैसला किया है।”

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