नयी दिल्ली: कोरोना के कारण जीएसटी राजस्व संग्रह के साथ ही क्षतिपूर्ति अधिभार संग्रह में भी कमी आने के मद्देनजर बाजार से उधारी लेकर क्षतिपूर्ति की भरपाई करने के विकल्प पर राज्यों के बीच सहमति नहीं बन पायी है जबकि राज्य जुलाई 2022 के बाद भी जीएसटी क्षतिपूर्ति अधिभार को लगाने पर सहमत हो गये हैं। बैठक में मुआवजे के मुद्दे पर 12 राज्यों ने केंद्र सरकार द्वारा द‍िए गए समाधान को स्वीकार कर ल‍िया. जबकि विपक्षशासित नौ राज्य इसके लिए तैयार नहीं हैं. उनकी मांगों पर विचार करने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने समय मांगा है.

देर शाम तक चली बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यह जीएसटी परिषद की 42वीं बैठक का हिस्सा था। गत पांच अक्टूबर को हुयी बैठक में एक एजेंडे पर निर्णय नहीं लिया जा सका था और आज उसी एजेंडे पर बैठक थी लेकिन इसमें भी कोई सहमति नहीं बन पायी है।

विपक्षी पार्टियों की ओर से शासित कुछ राज्य यह सुझाव दे रहे हैं कि इस मामले में आम सहमति बनाने के लिये मंत्रिस्तरीय समिति का गठन किया जाना चाहिए. हालांकि कर्ज लेने के केन्द्र द्वारा दिए गए विकल्प पर बीजेपी शासित राज्य पहले ही सहमत हो चुके हैं और इनका मानना है कि उन्हें अब कर्ज लेने की दिशा में आगे बढ़ने की मंजूरी दी जानी चाहिए, ताकि उन्हें शीघ्र धन उपलब्ध हो सके.

बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि बैठक में बॉरोइंग, सेस के विस्तार आदि मुद्दों पर चर्चा की गई. लेकिन जीएसटी क्षतिपूर्ति मुद्दे पर सहमति आज भी नहीं बन पाई. उन्होंने कहा कि सेस का कलेक्शन क्षतिपूर्ति का भुगतान करने के लिए पर्याप्त नहीं है. यह सभी स्पष्ट रूप से देख सकते हैं और क्योंकि यह ऐसी चीज है, जिसकी कभी कल्पना भी नहीं की गई थी इसलिए जीएसटी में कमी की अब बॉरोइंग से ही भरपाई हो सकेगी.

सीतारमण ने कहा कि केन्द्र ने एक बॉरोइंग कैलेंडर जारी किया है. अगर अब केन्द्र और उधार लेता है तो इससे राज्यों व प्राइवेट सेक्टर दोनों के लिए बॉरोइंग कॉस्ट बढ़ जाएगी. बढ़ी हुई बॉरोइंग कॉस्ट को ऐसे समय में झेला नहीं जा सकता, जब भारत कारोबार के लिए ज्यादा से ज्यादा पैसे का निवेश होने और उधार लेने की ओर देख रहा है. अगर राज्य उधार लेते हैं तो प्रभाव उतना गंभीर नहीं होगा.

वित्त मंत्री ने बताया कि राज्यों ने कुछ विशेष स्पष्टीकरणों की मांग की थी, जिन्हें दिया गया. कई स्पष्टीकरण बॉरोइंग पर अटॉर्नी जनरल के मत, सेस कलेक्शन की अवधि को बढ़ाए जाने के जीएसटी काउंसिल के अधिकार को लेकर थे.