दिल्ली:
हिमाचल प्रदेश में सभी 68 सीटों पर मतदान खत्म हो गया है. देर शाम चुनाव आयोग ने बताया कि शाम 5 बजे तक 65.92 प्रतिशत मतदान हो चुका था. हालांकि, ये फाइनल आंकड़ा नहीं है. सभी ईवीएम के स्ट्रॉन्ग रूम पहुंचने के बाद फाइनल आंकड़ा जारी किया जाएगा. जो लोग मतदान केंद्रों के अंदर लाइन में हैं, वे वोट डाल सकेंगे. तब अंतिम आंकड़ा सामने आ सकेगा. राज्य में 2017 में 74.6 फीसदी वोटिंग हुई थी. हिमाचल प्रदेश में चुनाव के नतीजे 8 दिसंबर को आएंगे.

इस पूरे चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर मानी जा रही है. बीजेपी ने लगातार दूसरी बार सरकार बनाने के लिए पूरा जोर लगाया है तो वहीं कांग्रेस को उम्मीद है कि पार्टी राज्य की सत्ता में फिर से वापसी करेगी. हिमाचल में 1990 के बाद हर पांच साल में सरकार बदलती आई है. यही वजह है कि बीजेपी ने चुनाव में नया नारा दिया है- राज नहीं, रिवाज बदलेंगे. आज वोटिंग के वक्त भी बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ये नारा दोहराया. वहीं, कांग्रेस ने कहा है कि राज्य में महंगाई और बेरोजगारी की वजह से लोग त्रस्त आ गए हैं. इसलिए लोगों ने परिवर्तन के लिए वोट दिया है.

बताते चलें कि 2017 के चुनाव में बीजेपी को 68 में से 44 सीटें मिलीं थीं और कांग्रेस ने 21 सीटें जीती थीं. राज्य में बीजेपी की सरकार बनी और जयराम ठाकुर को मुख्यमंत्री बनाया गया था. इस बार बीजेपी ने जयराम ठाकुर के काम के साथ-साथ पीएम नरेंद्र मोदी के चेहरे को आगे रखकर चुनावी अभियान चलाया. इसके साथ हिमाचल प्रदेश के चुनावी ट्रेंड को बदलने के लिए उदाहरण के रूप में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश का हवाला दिया है. इस चुनाव में बीजेपी के लिए एक बड़ी चिंता भी देखने को मिली. बीजेपी के 21 बागी मैदान में उतरे और चुनाव लड़े.

वहीं, कांग्रेस का कहना है कि ये चुनाव स्थानीय मुद्दों को लेकर है. लोग चाहते हैं कि सत्ताधारी पार्टी को बाहर करने की परंपरा से आगे चले. हालांकि, वयोवृद्ध वीरभद्र सिंह के निधन के बाद पार्टी नेतृत्व संकट का सामना कर रही है. पार्टी का कहना है कि वह सत्ता में वापस आएगी, क्योंकि उसका सीट-वार टिकट आवंटन पहले की तुलना में काफी बेहतर रहा है. वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह राज्य इकाई प्रमुख हैं. उम्मीदवारों में बेटे विक्रमादित्य सिंह भी शामिल हैं.