लखनऊ:
भारतीय जनता पार्टी ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए 195 सीटों पर अपने जिन उम्मीदवारों की घोषणा की हैं, उनमें 51 उम्मीदवारों को यूपी में टिकट दिया गया है। यूपी में भाजपा की पहली सूची में जिन 51 सीटों पर ऐलान हुआ है, उनमें एक भी सिटिंग सांसद का टिकट नहीं काटा गया है। कहा जा रहा है कि यूपी में भाजपा की 51 सीटों पर उम्मीदवारों के चयन में अनुभवी और युवा नेताओं के बीच संतुलन बनाने की कोशिश की है।

इसी के चलते ही जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार वाराणसी सीट से चुनाव लड़ेंगे। वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव रहे नृपेंद्र मिश्रा के पुत्र साकेत मिश्रा को श्रावस्ती से चुनाव मैदान में उतारा गया है। साकेत मिश्रा छह साल पहले ही राजनीति में सक्रिय हुए थे और कुछ समय पहले ही उन्हे विधान परिषद में एमएलसी बनाया गया था।

यूपी 51 सीटों के लिए जारी की लिस्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार वाराणसी सीट से चुनाव लड़ेंगे। इसके अलावा राजनाथ सिंह का लखनऊ से टिकट बरकरार रखा गया है। चंदौली से महेंद्र पांडे को भी टिकट देकर फिर से चुनाव मैदान में उतारा गया है। उनका टिकट काटे जाने की चर्चा थी। अपने बेटे की वजह से विवाद में रहने वाले कौशल किशोर को मोहनलालगंज से फिर टिकट दिया गया है। महराजगंज से छह बार के सांसद पंकज चौधरी फिर चुनाव लड़ेंगे, वह मोदी सरकार में मंत्री हैं।

इसी प्रकार मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री स्मृति इरानी दूसरी बार अमेठी से चुनाव मैदान में उतरेंगी, उन्हें टिकट देकर भाजपा के कांग्रेस का संकट बढ़ाया है। विवादों में घिरे रहने वाले मोदी सरकार के मंत्री अजय मिश्रा टेनी को पार्टी ने फिर से लखीमपुर खीरी सीट से टिकट दिया है।

इसी प्रकार मोदी सरकार में मंत्री रहे डा. महेश शर्मा को फिर से गौतमबुद्ध नगर (नोएडा) से टिकट दिया गया है। वह दो बार से इस सीट से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं। अब तीसरी बार इस शहरी सीट से वह चुनाव लड़ेंगे। यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के पुत्र राजवीर सिंह भी एटा से फिर टिकट पा गए हैं, वह भी तीसरी बार लोकसभा चुनाव लड़ेंगे।

इसके अलावा मथुरा से हेमा मालिनी को टिकट देकर भाजपा ने सबक़ों चौका दिया है। हेमामालिनी ने चुनाव ना लड़ने का ऐलान किया था, इसके बाद भी पार्टी ने उन्हे फिर से चुनाव मैदान में उतारा है। पार्टी ने गोरखपुर से भोजपुरी फिल्म के अभिनेता रवि किशन और आजमगढ़ से दिनेश लाल यादव को फिर चुनाव मैदान में उतारा है। साध्वी निरंजन ज्योति के अयोध्या सीट से लड़ने के कयास थे लेकिन उन्हें फतेहपुर से टिकट दिया गया हैं।

इसी तरह से जिन जगदंबिका पाल के टिकट को काटे जाने की चर्चा थी उन्हे फिर से डुमरियागंज सीट से टिकट दिया गया है। मुंबई की राजनीति में चर्चित रहने वाले कृपा शंकर सिंह भी यूपी की जौनपुर सीट से चुनाव लड़ने के लिए टिकट पाने में सफल रहे है। आईएएस से इस्तीफा देने वाले अभिषेक सिंह इस सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे।

भारतीय जनता पार्टी द्वारा नृपेंद्र मिश्रा के बेटे साकेत मिश्रा को श्रावस्ती से उम्मीदवार बनाया जाना चर्चा में है। देवरिया जिले के मूल निवासी साकेत मिश्र का ननिहाल श्रावस्ती में हैं। उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफेन्स कॉलेज से इकोनॉमिक्स की पढ़ाई की। साकेत ने भारतीय प्रबंध संस्थान (आईआईएम) कोलकाता से मैनेजमेंट की डिग्री हासिल की। इसके बाद साकेत मिश्रा ने भी सिविल सेवा की परीक्षा दी और 1994 में आईपीएस बने, लेकिन फाइनेंस सेक्टर में गहन रुचि होने के कारण बाद में उन्होंने इस्तीफा देकर फिर से फाइनेंस सेक्टर में लौटने का इरादा किया।

उन्होंने जर्मनी के ड्यूस बैंक में नौकरी शुरू की। 16 साल के कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई इंटरनेशनल बैंकों में काम किया। छह साल पहले उन्होंने राजनीति के क्षेत्र में कदम रखा और उन्होंने लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू की। इसी बीच योगी सरकार ने उन्हें एमएलसी बनाया गया।

वर्तमान में वह पूर्वांचल विकास बोर्ड के सलाहकार हैं। साकेत का पैत्रिक गांव कसिली है। उनके पिता नृपेंद्र मिश्रा 1967 बैच के आईएएस रहे हैं। वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव रहे हैं और वर्तमान में वह राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष हैं। उनकी देखरेख में ही अयोध्या में श्री राम जन्म भूमि मंदिर का निर्माण हो रहा है।