लखनऊ: एमएलसी नामित होने के बाद लोकप्रिय शायर प्रोफेसर वसीम बरेलवी ने आज कहा कि वो विधान परिषद में कलमकारों की समस्याओं को उठाएंगे। शनिवार को लखनऊ में आईएएस पार्थसारथी सेन शर्मा की पुस्तक ‘हम हैं राही प्यार के’ के विमोचन समारोह में उन्होंने कहा, ‘मेरी पहली जिम्मेदारी होगी कि साहित्य से जुड़े दूसरे क्षेत्रों में दूरदराज के जो लोग काम कर रहे हैं। उनके काम को तवज्जो दिलाई जाए। किसी को प्रकाशक नहीं मिला तो किसी को सम्मान नहीं मिला, किसी की कृतियों पर चर्चा नहीं हुई। मेरी पूरी कोशिश होगी कि बतौर एमएलसी ऐसे लोगों का काम सामने आ सके।’

उन्होंने कहा, साठ साल से ऊपर के साहित्यकार, कलमकार, शायर जिनको अब तक कोई प्लेटफार्म नहीं मिला। उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान जैसी सरकारी अकादमियां व संस्थान ऐसे रचनाकारों के साथ एक शाम गुजारें और ऐसे लोगों के कृतित्व व व्यक्तित्व पर जो बोलने वाले लोग हैं, उन्हें आमंत्रित किया जाए। ऐसे कार्यक्रमों के लिए प्रायोजकों से भी मदद ली जाए। कुछ ऐसा हो ताकि इन लेखकों और रचनाकारों को भी लगे कि उनकी जिन्दगी भर की मेहनत बेकार नहीं गयी।

वसीम बरेलवी ने कहा कि समाज में जो चीजें रचनात्मक दिशा में ले जाने वाली हैं मैं खुद जिन्दगी भर ऐसी दिशा में प्रयासरत रहा हूं। मेरी शायरी भी इसी दिशा में आगे बढ़ी है और अब जो जिम्मेदारी मुझे मिली है मैं उसके तहत रचनात्मक दिशा में ही आगे बढ़ूगां। 

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि समाजवादी सरकार में साहित्य और संस्कृति को बखूबी सम्मान मिलता रहा है। चाहे वह यशभारती सम्मान हो या फिर गोपाल दास नीरज को भाषा संस्थान तथा उदय प्रताप सिंह जैसे साहित्यकार व कवि को हिन्दी संस्थान की जिम्मेदारी सौंपने का मामला हो। यह लोग अपने स्तर पर काम कर रहे हैं। प्रदेश सरकार ने कैफी आजमी अकेडमी को भी काफी मदद की है।