आशिक़े रसूल फ़्रंट का दिल्ली में ‘नमक आंदोलन’,  दिल्ली के बाद लखनऊ में भी होगा धरना

नई दिल्ली। ‘नमक रोटी खाएंगे, पार्लिमेंट में क़ानून बनवाएंगे’, इन नारों के साथ आशिक़े रसूल फ़्रंट ने आज शनिवार सुबह से दिल्ली के जंतर मंतर पर शानदार प्रदर्शन कर यह साबित कर दिया कि मुसलमान पैग़म्बर-ए-इस्लाम के लिए कितना प्रेम भाव रखते हैं। यही कारण है कि भीषण गर्मी के बावजूद आशिक़े रसूल फ़्रंट के बैनर तले हज़ारों लोग जंतर मंतर पर जुटे और गुस्ताख़े रसूल के गुनहगार के लिए फाँसी की सज़ा के प्रावधान करने संबंधी क़ानून को बनवाने के लिए संसद सत्र के दौरान धरना और प्रदर्शन कर अपनी माँगों को रखा। इसी क्रम में फ़्रंट की योजना है कि अगला धरना दिल्ली के अलावा लखनऊ में दिया जाएगा जहाँ राज्य सरकार से माँग की जाएगी कि वह अपनी प्रांतीय दंड संहिता में इस बात को सम्मिलित करे कि यदि कोई व्यक्ति पैग़म्बरे इस्लाम के प्रति नफ़रत या अनादर का भाव प्रकट करता है तो उसे कड़ी से कड़ी सज़ा दी जानी चाहिए। फ़्रंट की माँग है कि पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब और सभी धर्म गुरुओं के प्रति अपमानजनक बातें करने वालों को कड़ी से कड़ी सज़ा दी जाए।

फ़्रंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष हाजी शाह मुहम्मद क़ादरी ने दिल्ली के जंतर मंतर पर अपने भाषण में कहाकि भारत के दंड संहिता में ईशनिंदा क़ानून के हवाले से कोई विधि नहीं है जिसका फ़ायदा उठाकर कुछ असामाजिक तत्व पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब के प्रति अपमानजनक बातें लिखते, बोलते, पढ़ते या प्रसारित करते हैं। यह मुसलमानों के लिए बेहद संजीदा और लज्जाजनक बात है। शाह मुहम्मद ने कहाकि इतना ही नहीं वह इस क़ानून के माध्यम से श्रीराम, ईसा मसीह, महात्मा बुद्ध, गुरू नानकजी और हज़रत मूसा के प्रति नफ़रत का भाव रखने वालों को भी दंडित करवाना चाहते हैं। इसलिए फ़्रंट चाहता है कि नया विस्तृत ईशनिंदा क़ानून संसद में पारित करवाकर पैग़म्बरों और धर्म गुरुओं के प्रति नफ़रत फैलाने वालों को क़ानून के दायरे में लाया जाए। उन्होंने कहाकि ईशनिंदा क़ानून में फाँसी की सज़ा तक का प्रावधान होना चाहिए ताकि कोई भी व्यक्ति समुदाय विशेष की भावनाओं से खेलने की कोशिश नहीं करे। उन्होंने सलाह दी कि सेक्शन 153 (ए) यानी ‘हेट स्पीच लॉ’ को संशोधित, परिवर्तित और संवर्धित करके ईशनिंदा क़ानून के रूप में विकसित किया जा सकता है। नमक आंदोलन के बारे में हाजी शाह ने कहाकि मुसलमानों केवल नमक के साथ रोटी खाने को तैयार है लेकिन उसकी आकांक्षा है कि नबी की शान में गुस्ताख़ी करने वालों को कड़ी सज़ा मिले

आशिक़े रसूल फ़्रंट के संस्थापक अध्यक्ष हाजी शाह मुहम्मद क़ादरी ने कहाकि धर्म, जाति और नस्ल के आधार पर नफ़रत पर उनकी संस्था कड़ी सज़ा की माँग करती है। इसी प्रकार चमड़ी के रंग, पहचान, क्षेत्र और जन्म स्थान के आधार पर नफ़रत करने वालों को भी ईशनिंदा क़ानून के दायरे में लाकर यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि क़ानून में अधिकाधिक अपराधियों और अभियुक्तों को लाया जा सके। उन्होंने कहाकि फ़्रंट के दिल्ली के जंतर मंतर पर दिए जाने वाले धरने से हम संसद को यह संदेश देना चाहते हैं कि पूर्व में कमलेश तिवारी समेत जिन्होंने भी पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब के प्रति जो भी नफ़रत और विकृति का भाव दिखाया था भारत का मुसलमान उससे क़ानूनी तरीक़े से निपटना चाहता है। वह ना तो कभी क़ानून को अपने हाथ में लेता है और ना ही वह कभी यह चाहता है कि उसके प्यारे वतन में क़ानून और व्यवस्था में व्यवधान पैदा हो लेकिन इसका तात्पर्य यह बिल्कुल नहीं कि वह अल्लाह और उसके रसूल के प्रति बकवास करने वालों को सहन करेगा। क़ादरी ने कहाकि इसीलिए हम यह भी चाहते हैं कि श्रीराम, ईसा मसीह, महात्मा बुद्ध, गुरू नानकजी और हज़रत मूसा के प्रति नफ़रत का भाव रखने वालों को भी दंडित किया जाए।

 विशिष्ट अतिथि सैयद तक़ी अहमद, ने अपने बयान में कहा ‘जब से सोशल मीडिया में वृद्धि हुई है यह देखने में आया है कि कुछ लोग इसके दुरुपयोग में लिप्त हैं। यह लोग समाज में वैमनस्य फैलाने और लोगों के बीच दूरी बढ़ाने को लेकर सक्रिय रहते हैं और इसके लिए जो हरकत करते हैं उसमें वह धर्म गुरुओं और धर्म प्रतीकों का मज़ाक़ बनाते हैं। आशिक़े रसूल फ़्रंट के माध्यम से हम माँग करते हैं कि सोशल मीडिया के इस तरह के कंटेंट के सम्पादन के लिए सरकार उचित तकनीकी क़दम उठाए और सोशल मीडिया साइट्स से इस बाबत क़रार करे।’

सय्यद ज़ुल्फ़िकार अली उर्फ़ आलम, महासचिव, आशिक़े रसूल फ़्रंट ने कहा कि  संगठन की यह पहली कोशिश है और हमने कोशिश की है कि संसद की चालू कार्यवाही के दौरान ही हम अपनी बात जंतर मंतर से संसद तक पहुँचाएँ।

मुफ़्ती अशफ़ाक़ हुसैन क़ादरी, तंज़ीम उलामा-ए-इस्लाम ने कहा ‘पिछले दिनों कमलेश तिवारी नाम के शख़्स ने हमारे प्यारे नबी सल्ललाहो अलैवसल्लम के प्रति बकवास की थी और देश भर में जिस तरह का विरोध दर्ज करवाया गया था उसे देखते हुए सरकार को समझना चाहिए कि मुसलमानों की यह मंशा है कि वह अपने नबी के प्रति कोई अपमान सहन नहीं कर सकते। हम माँग करते हैं कि ईशनिंदा क़ानून में नबी की शान में गुस्ताख़ी करने वालों को कड़ी से कड़ी सज़ा दी जाए।’

मौलाना शकील, बरेली शरीफ़ ने कहा कि  युवाओं में ज़िम्मेदारी के भाव का विकास करने के लिए हमने यह धरना, प्रदर्शन और नमक आंदोलन की शुरूआत की है। हमें समझना चाहिए कि भारत के संविधान के प्रति समर्पण रखते हुए हम यह मानते हैं कि अपने धार्मिक पेशवा के रूप में हम पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब के अनादर को सहन नहीं कर सकते। हमें ईशनिंदा क़ानून चाहिए।